विजय मिलेगी मान ले
(१)होली में आना पिया,
जोहूँगी मैं बाट ।
उर के मेरे देखकर,
हास करेंगे पाट ।।
हास करेंगे पाट,
चूड़ियाँ भी खनकेंगी ।
होगी मादक भोर,
अरे शामैं महकेंगी ।।
कह सागर कविराय,
खुशी आती झोली में ।
अलसाया उर बने,
सदा मादक होली में ।।
(२)
सूरज भी तपने लगा,
हुआ शिशिर का अंत ।
कलियों के तन पर सजा,
नूतन मधुर वसंत ।।
नूतन मधुर वसंत,
कुहू के गान सुरीले ।
दिखते मधुरिम चीर,
गगन के तन पर नीले ।।
कह सागर कविराय,
बनी है मादक रज भी ।
गाता होली गीत,
भोर में आ सूरज भी।।
(३)
विजय मिलेगी मान ले,
उर में रख विश्वास ।
तनिक पराजय के लिये,
तोड़ न देना आस ।।
तोड़ न देना आस,
गीत मधुमासी होंगे ।
तू राह पर चल रे,
साथ अविनाशी होंगे ।।
कह सागर कविराय,
खुशी नित अभय मिलेगी ।
अधरों पर रख हास,
तुझे भी विजय मिलेगी ।।
© डा० विद्यासागर कापड़ी
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