सागर का गीत............
(पिया के लिए)
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।
जलाऊँ अधर पर हँसी के दिये ।।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
गऊ से पिया का है नाता बहुत ।
माखन पिया को री भाता बहुत ।।
रखूँ री मैं माखन जिया के लिए ।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
चिमटे की धुनों पर गायें पिया,
अदाओं से मुझको रिझायें पिया ।
बनाऊँ मैं लस्सी हिया के लिए ।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
पिय की हूँ राधा किसन हैं पिया ,
री मेरे तो तन,मन,धन हैं पिया ।
मैं हारी सदा हूँ जिया के लिए ।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
सुख है बहुत री मेरे गाँव में ,
खनके ये पायल मेरे पाँव में ।
अधर की हँसी है हिया के लिए ।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
जलाऊँ अधर पर हँसी के दिये ।
मथूँ री दही मैं पिया के लिए ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
1 टिप्पणियाँ
खूबसूरत
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