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Nazaband Ishq नजरबंद इश्क

नजरबंद इश्क
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मेरी नजर तेरी बंद  खिड़की से हुई।
Nazaband Ishq नजरबंद इश्कन जाने मुझे  ये आदत  कब से हुई।।

उदासी में  तुझको देखा,
रूवाइयां चेहरे कैसी नाजुक सी हुई।
मेरी नजर तेरी-----
हंसी झलक तेरे चेहरे की,
पाने को दिल में सुगबुगाहट सी हुई।
मेरी नजर तेरी-----
ख्वाबों में जब से जी रहा,
उलझनों को खुद कसमकश सी हुई।
मेरी नजर तेरी------
जब भी गुजरा तेरे शहर से,
मुलाकात को मन में पशोपेश सी हुई।
मेरी नजर तेरी-------
आइने से मैं बात करता,
दिल  को  आइने से  नफ़रत  सी हुई।
मेरी नजर तेरी--------

सुनील सिंधवाल "रोशन"(स्वरचित)
   गजल संग्रह "तकल्लुफ इश्क"

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