अरे नंदलाला..........
दीनन के हो जो सखा तुम तो,अब आके उबारो अरे नंदलाला।
घोर तमस चहुँ ओर दिखे,
करिये झट आके धरा में उजाला।।
काल ही काल यहाँ जगती में,
दिखे घन, घोर तमस सम काला।
रोय पड़े तुम हे बनमाली,
देख सुदामा के चरण पर छाला।।
सुनो नहीं रूदन जो अबहीं,
तुम काहे कहाओ अरे प्रतिपाला।।
पुकार रहा हरि द्वार खड़ा,
झट खोलिये नाथ कपाट का ताला।।
भारत भू में आके जो केशव,
तुमने मही का जो संकट टाला ।।
सागर ये तब तुमसे कहे,
तुम साँचि के हो प्रभु दीनदयाला।।
दीजो दरस चरण पकड़ूं,
करो प्रभु सागर उर को निहाला ।।
दीनन के हो जो सखा तुम तो,
अब आके उबारो अरे नंदलाला।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
1 टिप्पणियाँ
जय श्रीकृष्ण
जवाब देंहटाएंयदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026