Top Header Ad

Banner 6

Maa Ki Yaden Jab मां की यादें जब


मां की यादें जब


सुख दुःख दर्द में वात्सल्य मां का होता।
Maa Ki Yaden Jab मां की यादें जबधड़कन में मां शब्द ममता स्पंदन होता।।
विवश न होता  जीवन क्षणों में,
मां की  आज्ञा   पालन  करता।
हृदय  की गतियां   महसूस कर,
पुनरावृत्ति में  नाकाम न  होता।
सुख दुःख--------------------
धड़कन में--------------------
         ममता  भावना  के भाव  समझ,
         दिमाग के यदि दरवाजे खोलता।
         सच झूठ की  पाठशाला पढ़कर,
         तनिक  भी भाग्य  नहीं  कोसता।
सुख दुःख--------------------
धड़कन में--------------------        
समयबद्ध हो कर चलता  रहता,
आंखों में  अश्रु   गंगा न  बहती।
तजुर्बे   का ध्यान   मन  बांधकर,
दर्द का  समुंदर मन घाव न देती।
सुख दुःख--------------------
धड़कन में--------------------
         आंचल    पकड़कर   चलता तो,
         पथ  अपना    अवरोध  न पाता।
         ममता  कहो या मन का विश्वास,
         कदम  कदम पर  मंज़िल  पाता।
 सुख दुःख--------------------
 धड़कन में--------------------       
क्षणिक  सुखों   की खातिर जब,
रिश्तों के  बीच  अवहेलना होती।
पग  पग  पर   प्रताड़ित   होकर,
आंचल फिर   ममता   को  रोती।
सुख दुःख--------------------
धड़कन में--------------------
         दुखों  का  साया   जब  मंडराता,
         हर  दम  मन में   बैचैनी   बढ़ती।
         मां आंखों   की  भाषा समझकर,
         मातृत्व आपना आंचल  फैलाती।
 सुख दुःख--------------------
 धड़कन में--------------------       
अतीत हुए  पन्नें  जब  भी यादों के,
दिल के किसी  कोने  दस्तक देती।
जख्म  हरे होते  सिर्फ पश्चाताप के,
मां की   ममता तब   निशब्द होती।
सुख दुःख--------------------
धड़कन में--------------------

     सुनील सिंधवाल "रोशन"(स्वरचित)
         काव्य संग्रह "हिमाद्रि आंचल"

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ