उत्तराखंड का बारामासी पर्यटन पर यक्ष प्रश्न
देवभूमि उत्तराखंड देश ही ना दुनिया मा अपडि अलग पछांण रखदू।
एक तरफ नैसर्गिक सौन्दर्य, गैरी-गैरी घाटी केदारखंड त हैकि तरफा सीधी लंबी श्रृंखला कु कूर्मांचल।
पूरू अस्कोट बटि आराकोट तक पर्यटन घुमक्कडी की अथाह संभावना।
कखि तीर्थ स्थल, योग नगरी, गोल्जू माराज, बैजनाथ, त हैकि तरफा हरियाली अर वन्य जीव संसाधनों की असीम दुन्यां।
हर साल लाखों लोग पर्यटक घूमण पहाड़ औंदा, अर यखा भला मयादार सीदा मनख्यूं, मनख्यात देखी नमन भी कर्दा देवभूमि तै।
पर्यटन मा चार धाम बद्रीविशाल, केदारनाथ, गंगोत्री अर यमुनोत्री च त सिख लोखूं हेमकुंड साहिब,देरादूण गुरुराम राय दरबार जन बड़ा मठ छिन जख हर साल कै तीर्थयात्री औंदन।
![Uttarakhand Ka Baramasi Prayatan Par Yaksha Prashan Uttarakhand Ka Baramasi Prayatan Par Yaksha Prashan](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXSSAyI7-b6QOt_2KAP0ZZ9E8DAPDg8bYKvtiP_TFRKP-s50TdN9UZFUm7_j5EaisJr-8IXNw6xT8pVyYsIWnSaOeuwsHPiNrPKX9kTnjySCUoRr8XTjq1tC5vLMbIDu9aXEGoWX0z90w/s400/Uttarakhand+Ka+Baramasi+Prayatan+Par+Yaksha+Prashan.jpg)
एशिया कु सबसे ऊंचाई पर थर्प्यूं मंदिर भगवान तुंगनाथ जी का बुंग्याल अर रौंतेलि डांडी कांठयूं बटि जब सैलानी धरती कु श्रृंगार देखदा त स्वर्ग की कल्पना मन मा अमिट हवे जांदि।
पंच बद्री, पंच केदार दगडि बावन गढ की या धरती पंच भै पांडवों अर वीर भडों की साक्षात गवै देंदि
पातालभुवनेश्वरी कु रहस्य, बैजनाथ कु इतिहास,
पंवार अर चंद वंश का राजौ विरासत, दगडि धार खाळ मा रोचक लोककथा, आंणा-भ्वींणा से खूब भर्यू पहाड़।
त्रियुगीनारायण जी की अखंड धुनी, ऊषा अनिरूद्ध परिणय स्थली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ की काष्ठ कला नक्काशी हमारी अखंड लोक विरासत छिन।
लाखामंडल का मंदिर, अर जीवंत लाक्षागृह प्रमाण, कालसी का अशोक शिलालेख, मलेथा का सैरा,
देवलगढ का स्तूप,
क्या क्या विरासत नि छिन यख!
कैप्टन यंग की बसांई मसूरी हो या पौडी, लैंसडौन, खिर्सू, चोपता, जखोली,ग्वालदम, हर्षिल, मोरी, रामनगर, कौसानी, हर जगह असीम संभावना छिन पर्यटन की।
महासू चालदा देवता हनोल, आराकोट, लखवाड, धनोल्टी, जोशीमठ हर जगा पर्यटन मा विविधता---'डायवर्सिटि' दिखेंदि।
रंवाई जोनसार-जौनपुर की संस्कृति, नागपुर कु पांडव नृत्य, जौनसारी हारुल, तांदी,चौंफला, हर दृष्टि बटि हम भौत समृद्ध लोग छा।
पर्यावरण मा चिपको जन आंदोलन हो या पाणी बचाओ आंदोलन हमारु प्रतिनिधित्व च कर्यू हर क्षेत्र मा।
ईं सांस्कृतिक-सामाजिक, प्राकृतिक, धार्मिक, धरती मा पर्यटन की त, भौत बड़ी संभावना छिन।
टीरी डैम जन परियोजना भी त पर्यटन का कै द्वार खोली सकदि।
बीस साल का ये उत्तराखंड मा ना त सांस्कृतिक विविधता तै पर्यटन कु आधार बणांई गै, ना पारंपरिक धरोहरों तै।
पारंपरिक धरोहरों मा होम स्टे जन कारगर योजना पर बडु काम हवे सकदु, कखि शुरुआत भी होंणी च।
हर गौं मुलक मा अपडि खास पछांण की नक्काशी मकान तिबार रिंगाल ढुंग्गा पर दिखेंदि ये तै हम सरकार दगडि मिलितै पर्यटन आधार बणै सकदा,
उदाहरण जन आप चंडीगढ़ मा नेक चंद सैनी का डिजाइन कर्या राॅक गाॅर्डन तै देखा, कखि घट्ट च त कखि मूर्ति डिजाइन साधारण वेस्ट मेटेरियल से करीं। लोग खूब पसंद भी कर्दा यन अलग चीजों तै।
त हमारी भी परंपरागत मकान तिबार, डंडयाली धुर्पळि आकर्षक लुक दगडि गैस्ट हाऊस का तौर पर विकसित कर्ये सकेंदि।
चारधाम यात्रा सीजनल च,यानी हम बारामासी पर्यटन पर चर्चा करुन, पहल करुन, ये वास्ता ग्रामसभा स्तर पर सरकार प्रोत्साहित करु, गौं का मठ मंदिर सिमेंटिकरण की बजाय परंपरागत स्वरूप मा ही विकसित किए जौन। गौं का बजट मा विसेस ध्यान पर्यटन की तरफां दिए जो।
धारा पंध्येरा पाणी छलबल बगदू रौ, स्थानीय उत्पाद कोदू झंगोरु बारनाज तै हम अपडा होटल-मोटल, रेस्ट्रां मा परोसुन, जब हम गुजरात मा सांभर डोसा, महाराष्ट्र मा इडली, खै सकदा त उत्तराखंड मा पर्यटन दगडि हम अपडा पहाड़ी उत्पादों तै प्रोत्साहन किलै नि दी सकदा?
बारामासी पर्यटन बढोण का खातिर सडक ब्यवस्था भी बारामासी मजबूत कन पडली, सडक का अगल बगल भरपूर हैर्याळी पोजौण पडली।
मसूरी मा ही भौत सारा लोग पर्यटक औंदा अर सैर का परदूषण से बचण का वास्ता जब डाक्टर शुद्ध पाणी शुद्ध हवा की बात कर्दा त भौत सारा लोग गरम्यूं भम्माण मा मसूरी ही रै जांदन द्वी तीन मैना।
हमारी सरकार प्रतिनिधियों अगर मजबूत इरादा ह्वौन त तस्वीर बदलि जौ?
पहाड़ बिजली पैदा कन अर डाळयूं चिरान की ही सामर्थ्य नि रखदा यख बारामासी फल पैदा होंदा, अनार, आडू, कीवी, माल्टा, संतरा, कटहल, लीची, सेब , आंवला, क्या पर्यटन दगडि हम अपडा उत्पाद नि जोडी सकदा?
बुरांश, टेमरु, घिघोरु, काफल, जन लकदक बण क्या पर्यटन तै न्यूती नि सकदा?
नैसर्गिक चाल-खाल अर छोटा बड़ा ताल, जन बधाणीताल, देवरियाताल आंछरी ताल क्या चारधाम बै इतर बारामासी पर्यटन नि ठेलि सकदा?
पहाड़ का गौं गौं मा पर्यटन की गैरी गैरी संभावना छिन, जै खातिर सबसे पैलि हमारी सरकारों तै अस्सी फीसदी भूभाग का पहाड़ कु बजट बढायूं चैंदु जबकि यूँ संभावनाओं बै ध्यान हटे जनप्रतिनिधि सरकार सब लोग मैदानी भाग की तरफा भाजणां।
जब पहाड़ मा ही मसूरी नैनीताल पर्यटन कु भौत बडु विकल्प हवे सकदु, त जोशीमठ, ऊखीमठ, जखोली, बसुकेदार, खिर्सू, मक्कूमठ, देवाल, पोखरी जन कै विकल्प किलै खडा नि हवे सकदा ?
ज्वान होंदा उत्तराखंड मा जरूर औंण वौळी पीढ़ी वोट मंगदरा नेताओं तै पूछली कि बिजली- पाणी, माटू-बौंण, बिकोण का अलावा बारामासी पर्यटन की तरफा किलै नि सोची?
हमतै पर्यटन अर पर्यावरण द्वीयूं तै बरौबर मिलेतै विकसित कनै तरफा काम कर्यू चैंद किलैकि विकास दगडि कखि हम रूखा सूखा सैर ही ना खडु करौन बलकन हर्या-भर्या पर्यटन की सकारात्मक दिशा मा काम करुन।
ज्वान होंदा उत्तराखंड मा जरूर औंण वौळी पीढ़ी वोट मंगदरा नेताओं तै पूछली कि बिजली- पाणी, माटू-बौंण, बिकोण का अलावा बारामासी पर्यटन की तरफा किलै नि सोची?
हमतै पर्यटन अर पर्यावरण द्वीयूं तै बरौबर मिलेतै विकसित कनै तरफा काम कर्यू चैंद किलैकि विकास दगडि कखि हम रूखा सूखा सैर ही ना खडु करौन बलकन हर्या-भर्या पर्यटन की सकारात्मक दिशा मा काम करुन।
0 टिप्पणियाँ
यदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026