"छुई लगा खैरी लगा बैजा घड़ेक" एक खूबसूरत कविता जिसके रचियता है श्री महेंद्र ध्यानी "विद्यालंकार" और धुन व आवाज दी है इस कविता श्री होशियार सिंह रावत जी ने, कविता सुने और देखे तथा अपने साथियो के साथ जरूर शेयर करे यह कविता कविता संग्रह तर्पण से ली गयी है
0 टिप्पणियाँ
यदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026