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Chhui Laga Khairi Laga (Mayadar)

"छुई लगा खैरी लगा बैजा घड़ेक" एक खूबसूरत कविता जिसके रचियता है श्री महेंद्र ध्यानी "विद्यालंकार" और धुन व आवाज दी है इस कविता श्री होशियार सिंह रावत जी ने, कविता सुने और देखे तथा अपने साथियो के साथ जरूर शेयर करे यह कविता कविता संग्रह तर्पण से ली गयी है 







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