Top Header Ad

Banner 6

shweta श्वेता

अपाणिपादो जवनो ग्रहीता पश्यत्यचक्षु :सश्र्रणोत्यकर्ण:
स वेत्ति वेद्यं न च तस्यामि वेत्ता तमाहुरग्रयं पुरूषंमहान्तम्!
     श्वेता०3/19
परमेक्ष्वर बिना हाथों के पकड़ लेता है ,बिना पावों के गति करता है ,बिना आंखों के देखता है और बिना कानों के सुनता है.
जो कुछ जानने योग्य है उसे जानता भी है परन्तु उसे जानने वाला कोई नहीं ,उसी को आदि महापुरूष यानी परमेक्ष्वर कहते हैं.

शुभ प्रभातम

संकलन:-
राजेन्द्र सिंह रावत
दि०19/6/17                        

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ