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Samsya Vikat Hai समस्या विकट है

समस्या है विकट

इन किताबों में
अखबारों के पन्नों में ,जो कल बिक जाएंगे ,रद्दी के भाव
मैं ढूंढ़ रहा हूँ

अपनी और पराई समस्याओं का समाधान
कोशिश जारी है ,खोज लूं देश की बड़ी -बड़ी समस्याओं का निदान

पढ़ते -पढ़ते ,मेरी उम्र
आधी खर्च हो गई
लिखाई -पढ़ाई मानो मर्ज हो गई

लेकिन ना समाधान मिला और ना निदान
अब तो अक्सर दर्द करने लगा माथा
सोचता हूँ अब ,जितनी बार उलझा रहा किताबों और अखबारों से ,अमल में लाता यदि उसका भी आधा

कोई शक नहीं ,एक समस्या तो सुलझा पाता
मुझे मार गया बुद्धी विकास का चक्कर
मैं तो शाश्वत बना रहा घनचक्कर !
हाय!कैसा यह संकट
समस्या है विकट .

सर्वाधिकार सुरक्षित राजेन्द्र सिंह रावत
दि०2/7/2017
स्वरचित मौलिक रचना ©

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