मेरे टेढ़े-मेढ़े शेर
1-उसके बगैर अधूरा सा सावन लगता है,
उसके बगैर अधूरा सा दर्पन लगता है|
चले तो जाता हूँ मैं बागवाँ गुलाब में,
पर उसके बगैर कहाँ मेरा ये मन लगता है ||
2-ऐ ईश, यौवन की वो सारी बातें लौटा दे,
वो राह पर उनसे हुई मुलाकातैं लौटा दे|
दिन जैसे चाहे तू बेशक दिया करना,
पर मुझे वो करवट बदलती रातैं लौटा दे ||
3-न जाने उसकी किस बात का असर हुआ मुझ पर,
आज भी उसकी परेशानी पर परेशान हो जाता हूँ मैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
27-6-2017
1-उसके बगैर अधूरा सा सावन लगता है,
उसके बगैर अधूरा सा दर्पन लगता है|
चले तो जाता हूँ मैं बागवाँ गुलाब में,
पर उसके बगैर कहाँ मेरा ये मन लगता है ||
2-ऐ ईश, यौवन की वो सारी बातें लौटा दे,
वो राह पर उनसे हुई मुलाकातैं लौटा दे|
दिन जैसे चाहे तू बेशक दिया करना,
पर मुझे वो करवट बदलती रातैं लौटा दे ||
3-न जाने उसकी किस बात का असर हुआ मुझ पर,
आज भी उसकी परेशानी पर परेशान हो जाता हूँ मैं ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
27-6-2017
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