लोग
जब जिन्दगी में कभी मसहूर हो जाते हैं लोग ,
अपनों से और अपने से दूर हो जाते हैं लोग |
भूल जाते हैं मुसीबत में किसने साथ निभाया ,
इस कदर कैसे नशे में चूर हो जाते हैं लोग |
जमीन को भूल जाते हैं आसमाँ की चाह में ,
ऊँचे कद की छाँव में मजबूर हो जाते हैं लोग |
बनावटी पानी और बनावटी पानी के खातिर ,
बस अपने तिलिस्म के मजदूर हो जाते हैं लोग |
जब जिन्दगी में कभी मसहूर हो जाते हैं लोग ,
अपनों से और अपने से दूर हो जाते हैं लोग ||
©डाoविद्यासागर कापड़ी
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