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Myar Desha Ka Sipai म्यार देशा क सिपाई

'म्यार देशा क सिपाइ' (कुमाउनी कविता): पूरन चन्द्र काण्डपाल
(Pooran chandra kandpal)


म्यार देशा का सिपाइयो
तुमुकैं म्यर प्रणाम,
धन तुमरी बहादुरी
धन तुमौरौ काम । म्यार...
क्वे गुरखा सिक्ख बिहारि तुम
क्वे जाट पंजाबी,
क्वे कुमाउनी क्वे गढ़वाली
क्वे मराठा मद्रासी,
क्वे राजपूत डोगरा नागा
सैनिक आलीशान । धन तुमरि...
नेफा लेह लद्दाख सियाचीन
कारगिल क डान,
रण कच्छ क सीमार छी या
तात रेगिस्तान ,
दुश्मण क हरजाग
मिटाय तुमूलै नाम । धन तुमरि...
कतु लड़ै लड़ी तुमुलै
आजादी का बादमा,
सैतालिस बासठ पैंसठ इकहत्तर
निन्यानबे का सालमा,
दुश्मण हारौछ हमेशा
तुम जीता संग्राम । धन तुमरि...
इकहत्तरै लड़ै मजी
देख तुमौरौ वेष,
दुश्मण ल हथियार डावा
जनम बंगलादेश,
दुनिया चाइये रैगेई
दिल आपण थाम । धन तुमरि...



लेबनान कांगो गया तुम
सियारलोन कोरिया,
श्रीलंका मालदीप गया
मोजाम्बिक सोमालिया,
दुनिया में पुजाय तुमुलै
शांति क पैगाम । धन तुमरि...
न हिन्दू मुसलमान सिख इसाई
छिया तुम हिंदुस्तानी,
मातृभूमि पर हया न्यौछावर
अमर बलिदानी,
तुमरि बहादुरी कणी
म्यर देश क सलाम । धन तुमरि...
दम निकई आह नि करी
छाति में गोई खैछ,
तिरंगै की शान बढ़ैछ
कसम आपणि निभैछ,
देशा क लिजी लगै दी
तुमुल आपणि ज्यान । धन तुमरि...
म्यार देश का सिपाइयो
तुमुकैं म्यर सलाम,
धन तुमरि बहादुरी
धन तुमौरौ काम ।


सर्वाधिकार सुरक्षित पूरन चन्द्र काण्डपाल
30.06.2017

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