"खत्यूँ"
खैंचदी खैंचदी, ऊबैं ऊबैं,
ऊ हौरी जी कड़ुकुड़ु ऊंदैं ऊंदैं।
हथ्यौं हथ्यौं मा ऊ, खूब ख्यलै
पण जरा जरा कै ऊ रड़कदू गै।
ऊदैै ऊबैं,.ऊबैं ऊदैं
खत्तैंई खतैई,
खड्याण जुगा ह्वैई
दा रै....खत्यूँ कखै कु
स्वरचित/*सुनील भट्ट*
खैंचदी खैंचदी, ऊबैं ऊबैं,
ऊ हौरी जी कड़ुकुड़ु ऊंदैं ऊंदैं।
हथ्यौं हथ्यौं मा ऊ, खूब ख्यलै
पण जरा जरा कै ऊ रड़कदू गै।
ऊदैै ऊबैं,.ऊबैं ऊदैं
खत्तैंई खतैई,
खड्याण जुगा ह्वैई
दा रै....खत्यूँ कखै कु
स्वरचित/*सुनील भट्ट*
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