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Ishq ke Adib इश्क़ के अदीब

वो चल रहे थे  इस कदर  गजब नज़ारे ढा गये।
दुनिया ने चलना छोड़ दिया,मुर्दो पे प्राण आ गये।।

तेरे  इन शब्द भेदी बाणों से। दिल घायल हो गया मेरा।
तरकस में मेरे तीर नहीं । मैं कायल हो गया तेरा ।

इश्क़ के अदीब बैठै है  रुखसाई के चोराहे पर ।
अफ़सुर्दा है मन मेरा  इश्क़ का इंजाम क्या होगा ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित दिवाकर बुड़ाकोटि

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