दो पँक्तिया,
मेरे देश तुझे क्या हो रहा है
किसान रो रहा है
और
सत्ता -शासन भोंपू बजा रहा है
विकास हो रहा है
विकास हो रहा है
क्या ,
विकास हो रहा है ?
या वो भी ,अपने भाग्य पर
रो रहा है .
सर्वाधिक सुरक्षित राजेन्द्र सिहं रावत©
दो पँक्तिया,
मेरे देश तुझे क्या हो रहा है
किसान रो रहा है
और
सत्ता -शासन भोंपू बजा रहा है
विकास हो रहा है
विकास हो रहा है
क्या ,
विकास हो रहा है ?
या वो भी ,अपने भाग्य पर
रो रहा है .
सर्वाधिक सुरक्षित राजेन्द्र सिहं रावत©
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