धर्य-धीरजन
धैर्य राख धिर्जन, खेरी बिपदा मा
घाम अछलेन्दु ब्याखुन्यों
भोल सुबेर चमकणा,
आस राख बिश्वास, ओखी आफद मा
खंगरी होंदी ह्यूंद डाली
नई क्वँपळी फ़ुटणा।
ह्यूंद का बाद ही ओन्दु
बसन्त फूल पातियों मा
बर्खा बर्खि ही। ओन्दु
मोळियार डाळि बुर्दियों
धाक राख धाफना यखुली अंध्यारा मा
जोन लुकदी सारा दिन
रात अंध्यारी चम्कुणा
धैर्य राख.....................।
कड़ी दवे का। बाद ही रन्दू
जर मुंडारू सिर गाता कु
दुख का बाद ही ओन्दु
सुख नियम च बिधाता कु
शांत राख शीतल, चित्त चिन्ता मा
दुःख ओन्दु जीवन मा
सुख का मतलब समझुणा।
धैर्य राख......................।
कवि-विक्रम शाह(विक्की)
धैर्य राख धिर्जन, खेरी बिपदा मा
घाम अछलेन्दु ब्याखुन्यों
भोल सुबेर चमकणा,
आस राख बिश्वास, ओखी आफद मा
खंगरी होंदी ह्यूंद डाली
नई क्वँपळी फ़ुटणा।
ह्यूंद का बाद ही ओन्दु
बसन्त फूल पातियों मा
बर्खा बर्खि ही। ओन्दु
मोळियार डाळि बुर्दियों
धाक राख धाफना यखुली अंध्यारा मा
जोन लुकदी सारा दिन
रात अंध्यारी चम्कुणा
धैर्य राख.....................।
कड़ी दवे का। बाद ही रन्दू
जर मुंडारू सिर गाता कु
दुख का बाद ही ओन्दु
सुख नियम च बिधाता कु
शांत राख शीतल, चित्त चिन्ता मा
दुःख ओन्दु जीवन मा
सुख का मतलब समझुणा।
धैर्य राख......................।
कवि-विक्रम शाह(विक्की)
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