"मिं वे मुल्क कु छोऊं जख डांडी कांठी बच्यांद--- "
@ संदीप रावत ,श्रीनगर गढ़वाल |
(प्रवक्ता रसायन ,रा0इ0कॉ0धद्दी घंडियाल, बडियारगढ़)
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मी वे मुल्क$ कु छोऊँ जख डांडी काँठी बच्यान्द
हवा गीत लगान्द अर डाळी साज बजान्द.
मुंड मा हिमालै कु मुकुट सज्यूं पैतळ्यूं हरि -हरद्वार
बनी बनी की छन जैड़ी -बूटी, बनी -बनी फूल- फुल्यार
सडकयूं का उंचा-निसा घूम पुंगडी -पठाली भली सुहान्द
मी वे मुलक$ कु छौऊँ जख डांडी -काँठी बच्यान्द----
द्वादश ज्योतिर्लिंग केदार जख भू बैकुंठ धाम $
ऋषि मुनि द्यो- द्यबतौं की धरती जै देव भूमि बोलदान
गंगा जमुना कु मैत जख ,ज्योत अखंड जगी रान्द
मी वे मुल्कू कु छोऊँ जख डांडी -काँठी बच्यान्द-------
हिंसोला- किन्गोड़ा, तिमला, काफल कर हिंस्वाली कि मिठास
छ्युतम्यळि,आडू,-अखोड, सीमळा कु कनु भलु चलमुळु स्वाद
बारा बनी की रस्याळ सक्या मनख्यूं की बढान्द
मी वे मुल्कू कु छौऊँ जख डांडी काँठी बच्यान्द-----
लगदा मडाण, नचदन पण्डौं झमकदो झुमैलो झुमान्द
भला -भला गीतों का झमकों मा मनखी खैरी अपणी भुलान्द
कफू, हिलांस का सुर सुणेंदा घुर -घुर घुघुती घुरान्द
मी वे मुल्क$ कु छोऊँ जख डांडी -काँठी बच्यान्द------
मन कुंगला मनख्यों का अर क्वांसो छन पराण
सेवा -सौंळी न्यूत- ब्यूतं की रीत मा जख रस्याण
मिठ्ठी -मयळदी बोली -भाषा जिकुड़्यूं छ्पछ्पी लान्द
मी वे मुल्क$ कु छौंऊँ जख डांडी- काँठी बच्यान्द-----
@संदीप रावत ,श्रीनगर गढ़वाल |
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