कुई नि यख अपणु सभी बिरणा ही छन,
भलु बगत फर सब तेरा बुरु बगत फर कुई नि छन।
बिन उज्यला कु त छैल भी दगुड़ छोड़ दींद,
फिर मनखी त मनखी ही छन।
अपणु दुःख लगौ भी त कैमा लगौ,
सभी यख हैसणो तैयार बैठ्या छन।
बगत च तुमरु खूब हैंसी ल्यावा दी,
कुई तुम फरै भी हैसणो तैयार बैठ्या छन।
मेरी मज़बूरी च कि मी रोयी भी नी सकणु छौ,
आंखी त आंसू न मेरी भी पट्ट भोरी छन।
यूँ आंसू थै सुदी खैति की भी क्या कन,
खरीदणो खु जब लोग तैयार हुया छन।
रुआँसी गौली न बोली भी नि सकणु छौ,
गिच्ची खोलदु त गौली, जिकुड़ी तैयार हुया छन।
जोड़ी की त मेरु भी भौ कुछ धर्युं छौ,
झणि किलै आज सबी मी देखि लुकणा छन।
अनोप सिंह नेगी"खुदेड़"
9716959339
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