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Kashmir कश्मीर

नमस्कार दोस्तों आज आप लोगों के आशिर्वाद से कश्मीर पर कविता लिखने जा रहा हूं ,.....


कश्मीर जो भारत का शीश हुआ करता था,
स्वर्ग से भी प्यारा जो कश्मीर हुआ करता था ,
कश्मीर हिमालय भारत का जो अपना था,
लाल बहादुर का जो प्यारा प्यारा सपना था,
कश्मीर की धरती खून से लतपत हो गई है ,
भारत भूमी अपनी किस्मत पर क्यों रो रही है,
हर दिन फौजी मरते हैं ,
मवेशी इन्सां से डरते हैं ,
हर जगह कब्र समसान बना है, 
देश का मुकुट सुनसान बना है, 
हिंसा पे हिंसा होती रहती है ,
बस करो अब भारत माता कहती है ,
इसीलिए दिल्ली को समझाने आया हूं ,
जलतै कश्मीर का दर्द बताने  आया हूं ||
मजहब के ठेकेदारों ने ,
हिंसा की बाजारों में ,
मजहब का जो राष्ट्र बनाते ,
कश्मीर में चांद सितारे लहराते, 
तिरंगा छुपा रहता है मेजों मे,
कश्मीर बंटा है आज देशों में ,
फूल भी खिलने से डरते हैं, 
कश्मीर में जो जन रहते हैं, 
स्वाभिमान जो मन में भरते हैं ,
रोज इनके सपने क्यों मरते हैं, 
विधवाओं के हाथ सूने रहते हैं
जो चार दिन पहले चूड़ी पहनते हैं,
में उनकी पीड़ा को सहलाने  आया हूं,
जलते कश्मीर का दर्द बताने आया हूं
कश्मीर भारत का खाता है ,
चांद सितारे क्यों लहराता है,
पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे हैं, 
कश्मीर मे बैठे दुश्मन हमारे रहे हैं,
पग पग पर आस्थीन खड़े हुए हैं,
श्रीनगर की छाती में गड़े हुए हैं,
सेना को एक बार छूट दे दो, 
मनमानी करने का आजादी दो, 
56 इंची सीने का आभास दिखाने तो दे दो,
गोली की भाषा को गोली में सिखाने तो दे दो,
ज्वालामुखी रोके रहते हैं दिलों में 
तब देखो कैसे छपते आतंकी बिलों में,
में इसी बात का अनुरोध सबसे करने आया हूं ,
जलते कश्मीर का दर्द बताने आया हूं,||
क्या चुहों से डरने लग गयी है बिल्ली,
क्या इतनी कायर हो गयी है ये दिल्ली ,
सिहों के दरबारों मे गिद्दों का न्योता है,
क्यों कश्मीर में तिरंगा सितारों के नीचे सोता है,
ये मेहरबानी है आस्तीन के सांपों की ,
जिनको जानकारी नहीं है  अपने बापों की ,
कोई सबूत मांगता है सर्जिकल स्ट्राइक का ,
राजनीति को घुमा रहे हैं ऐसे हैंडल बाइक का,
इन गद्दारों को मैं कश्मीर बताने आया हूं,
जलते कश्मीर का दर्द बताने आया हूं ||
कश्मीर में तिरंगा फाडे  जाते हैं, 
चांद सितारे घर घर में गाड़े जाते हैं ,
हम करे धर्मनिरपेक्षता का पालन,
वो करे आतंकी का उद्घाटन,
बाप बेटे की औकात भूल रहा  है, 
अपने बाप  को वो ललकार रहा है,
शिमला शिमला समझौता ये भूल गए हैं ,
तासकन्द प्रावधान सुल चढे हैं,
कब तक दिल्ली शांति रहेगी ,
कब तक मांग सूनी होती रहेंगी,
बस करो दिल्ली अब पुरजोर लगाओ,
लाहोर और कराची तक तिरंगा लहराओ,
सोयी हुयी दिल्ली को मैं जगाने आया हूं ,
जलते कश्मीर का दर्द बताने आया हूं,||


     धन्यवाद
सर्वाधिकार सुरक्षित
आपका युवा कवि
सोबन सिंह नेगी
9411570773

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