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Chal Re Dagdya दगड़्या चल रे

दगड़्या चल रे......
दगड़्या चल रे........,
दगड़्या चल रे, तू अर मीई..
फँखुड़ी लगैकि द्वीई.......
कखि उड़ि जौंला...........,
हम द्वियों जुगा, रईं नी य दुन्य
सरग फर उड़दा उड़दा
गैंणा बणि जौंला........,
दगड़्या चल रे........

झूटौं गौलि सिंओल म
सच की जीभ चिफल्हेणी चा
रे सच की जीभ...........,
ज्यालि मनिख्यों की झिंकड़्यों म.....
सकिलि खुटि अल्झेंणी चा
रे सकिलि खुटि...........
काँड्यों दुपे दुपे ग्ये य जिकुड़ि.........
कनुक्वे यों तैं छड़ौंला ....
कखि उड़ि जौंला ........  

                  
बाला खुछिलि नि पै,
ज्वनि सौंजण्या नि मीलु...
बुढ़ि उमरि कु स्हारु नि राई...
जै अजाण तैं स्हारु द्ये ज्वनिम..
पछ्याण ह्वेकि त्यारु म्यारु नि राई....
अजाण बणिकै सह्येन्दु नीछ.
पछ्याण ह्वेकि मुख कखजि लुकौंला ......
रे कखि उड़ि जौंला......

त्येरि जीणौं लालसा अबि..
मैकु म्वरणौं डैर लगींचा.....
तु त् निझरक छै भितनै छुचा
मनख्यात् कि ताँद भैर बँधीचा...
सरैल यखुली छुटि नि जै यख
दगिड़ि म्वरला त् ज्यूँदा बि रौंला..............
रे कखि उड़ि जौंला ......

दगड़्या चल रे, तू अर मीई..,
फँखुड़ि लगैकि द्वीई......
कखि उड़ि जौंला.........
हम द्वियों जुगा, रईं नि य दुन्य
सरग फर उड़दा उड़दा....
गैंणा बणी जौंला.......।


   सर्वाधिकार सुरक्षित     (सुखदेव दर्द...)
नयेड़ि,  रिखणीखाल
          गढवाल

(ईं रचना म मनिखि अपुणु सरैल यानि अभिलासि मन दगिड़ि छ्वीं लगैकि सरैल कु माध्यम से अपिणि विरक्ति क भाव प्रकट करनौ कोशिश कनू छ, )

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