न फोड़ यूं ढुंगो थैं हे मनखी
यूं थैं बी पीड़ा होंदी त होली
न काट यूं डाल्यो थैं हे मनखी
ज्यूणा की आस यूं थैं बी रैंदी त होली
न उजाड़ यूं पहाड़ो थैं हे मनखी
यूंका उजड़ण से बेघर कुई होंदु त होलू
न कैर बण्यास यूं पहाड़ो कु हे मनखी
कैकी आस यूं पहाड़ो मा भी त होली
जिकुड़ी मा तेरा बी कांडा बिनान्दा त होला
न कच्मोड़ यूं रौल्यु-गदन्यो थैं हे मनखी
यूंका बिशकण से तिसालू कुई रैंदु त होलू
न बिसरौ अपणी संस्कृति थैं हे मनखी
येका हरचण से तेरु कुई अपणु हरचदु त होलु
न लगौ काख अपणी बोली-भाषा थैं हे मनखी
पछ्याण अपणी बी हरचदी त होली
न कैर बांजी पुंगड़ी खौंदार कूड़ी हे मनखी
तेरा पितरों कि आत्मा झुरदी त होली
न छोड़ यूं पहाड़ो थैं छट कैरी हे मनखी
खुदेड़ प्राण तेरु भी खुदेंदु त होलू
अनोप सिंह नेगी "खुदेड़"
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सर्वाधिकार सुरक्षित खुदेड़ डाँडी काँठी
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