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प्रवासी

                   
प्रवासी बोलुण कतगा आसान च,
कभी प्रवासी जीवन जी की त देख,
दस बाई दस का कमरा म रै सै की त देख,
प्रवासी जन घर बौण करी की त देख,
बिसरी जैली प्रवासी बोलुणा कु ढब,
जरा पीड़ा वैकि समझी की त देख।




प्रवासी बोलुण कतगा आसान च,
कभी द्वी घड़ी वैकि व्यथा सुणी की त देख,
जिकुड़ि म यादू कु उमाल समाली की त देख,
बिरणो का बीच अपणो थै खुजे की त देख,
बिसरी जैली प्रवासी बोलुणा कु ढब,
जरा पाणी भी मोल लेकि त देख।


प्रवासी बोलुण कतगा आसान च,
जरा वैकि यकुलास अपुणु समझी की त देख,
घार बौण की चिंता जरा चितै की त देख,
प्रवासी जनि तपस्या म जरा तपे की त देख,
बिसरी जैली प्रवासी बोलुणा कु ढब,
जरा प्रवासी का विचारो से परिचित व्हैकि त देख।

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)

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2 टिप्पणियाँ

  1. प्रवासी एक ऐसा शब्द जिसका अभिप्राय है कि अपनो को छोड़ना अपनो के लिए। परंतु आज के भौतिकवाद युग मे इसकी परिभाषा ही बदल गई है। पहले प्रवास के मतलब धन अर्जित कर अपनी जड़ों में बसे लोगो की मदद करना परन्तु आज प्रवास का मतलब स्थायी रूप से अपनी जड़ों से कटना हो गया है। दूसरा प्रवास का दर्द वही समझ सकता है जिसने जन्म अपनी जड़ों में लिया हो और आजीविका के लिए प्रवास किया हो। लेकिन प्रवास में जन्मे बच्चो को क्या हम प्रवासी कहेंगे या रैवासी , यह एक आज चर्चा का विषय है और आने वाले समय मे इन बच्चो के हाथों में ही निर्णायक तलवार होगी।

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