शुभ हो प्रमाथी सम्वत्सर
हिन्दु चेतना जगे जगत में ,
भारत जग का गुरु बन जाये ।

सुखद ,शान्ति के ही घन छायें।।
मिल जायें प्रश्नों के उत्तर ।
शुभ हो प्रमाथी सम्वत्सर।।
भय भागे जगती निर्भय हो ,
हास रहे सबके अधरों में ।
धन-धानों की प्रचुरता हो ,
सुख हो सब ग्रामों,नगरों में ।
रहें न रीते युवकों के कर ।
शुभ हो प्रमाथी सम्वत्सर ।।
सरल,सुगम गंतब्य सभी हों ,
पथ के प्रस्तर सब हट जायें ।
सपन सलोने पूर्ण सदा हों,
सुमन मिलें कंटक छँट जायें ।।
सदा साथ दें भोले हर-हर ।
शुभ हो प्रमाथी सम्वत्सर ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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