ओ शहीदो.............
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शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये,
झुकता ये वतन है तुम्हारे लिये।
ओ शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये।।
सिर कटा के गये तुम हमारे लिए,
भँवर था तुम्हीं ने किनारे दिये।
जमीँ और गगन नभ के तारे दिये,
माता को तुम्हीं ने सहारे दिये।।
सही सारी चुभन ही हमारे लिये,
ओ शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये।
फाँसियों पर हमारे लिये चढ़ गये,
देश के राग की नव कथा गढ़ गये।
शूल थे तो बहुत राह पर बढ़ गये,
सिर नगीना बनाकर के तुम जड़ गये।।
ये करोड़ों नमन हैं तुम्हारे लिये।
ओ शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये।।
साँसैं और पवन भी तुम्हीं दे गये,
खुशियों के सपन भी तुम्हीं दे गये।
सुखों के नयन भी तुम्हीं दे गये,
ये महकता चमन भी तुम्हीं दे गये।।
ये कहा लो चमन है तुम्हारे लिये।
ओ शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये।।
झुकता ये वतन है तुम्हारे लिये।
ओ शहीदो सुमन हैं तुम्हारे लिये।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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