गजल यादें वफा की
=============================================================खुशियों की कीमत देर नहीं ठहरती।
अश्कों की वफा ही बस याद दिलाती।

तेरी यादें मैंने बस खत में लिख दी।
दूर से कसक बस धड़कन कहती।
अश्कों की वफा ही बस याद दिलाती।।
खत लिखा यादों की तड़पन का,
दिल का मजलूम तू भांप न सकी।
इस शहर बस उलफत की यादें बसती।
अश्कों की वफा ही बस याद दिलाती।।
सिरहाने अश्कों से इबादत कर,
तकिये से दिल की बात कह दी।
आंसु मन धीर कर मिलने को कहती।
अश्कों की वफा ही बस याद दिलाती।।
घड़ी घड़ी नींद से जगती रातें,
नींद का साया करवट ही समझती।
कहानी अब चादर की सिलवट कहती
अश्कों की वफा ही बस याद दिलाती।।
सुनील सिंधवाल "रोशन" (स्वरचित)
गजल संग्रह "तकल्लुफ इश्क"
1 टिप्पणियाँ
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंयदि आप इस पोस्ट के बारे में अधिक जानकारी रखते है या इस पोस्ट में कोई त्रुटि है तो आप हमसे सम्पर्क कर सकते है khudedandikanthi@gmail.com या 8700377026