बिजेन्द्र सिंह रावत "दगड़या"
नाम - बिजेन्द्र सिंह रावत "दगड़या"
माँ का नाम - स्व उषा देवी रावत
पिता का नाम - श्री गबर सिंह रावत
जन्म तिथि - 16-09-1968
शैक्षणिक योग्यता -
बी काम . एम बी ए (वित्त)गांव का पता- ग्राम दनोली , पोस्ट खंडोगी
ब्लॉक जाखणीधार, खास पट्टी, टिहरी गढ़वाल ।
सम्पर्क पता- खास पट्टी निवास , 12808/01,
गुरु नानक नगर , मुलतानिया रोड ,
बठिंडा, पंजाब।
सम्पर्क नम्बर- 9650032228
ई मेल आई डी- jhilmil.rawat@gmail.com
कार्य क्षेत्र- जापान की मल्टी नेशनल कंपनी ओरिक्स में" स्टेट हेड " यूपी व उतराखंड।
साहित्यक उपलब्धियां :
लिखने व पढ़ने का शौक बचपन से ही रहा हें। उतराखंड व मैदानो से निकालने वाली कई मासिक पत्रिकाओ व समाचार पत्रो जैसे युगवानी, हिलांश, पर्वतवाणी, उतराखंड आजकल, बारमासा, अपराजिता, रीजनल रिपोर्टर, डांडी कांठी, हिमशैल, धरमजन्य,पर्वत जन, उतरांचल पत्रिका, रंत रैबार आदि मे लेखो व कविताओ का प्रकाशन , विभिन्न सभाओ द्वारा प्रकाशित कई पत्रिकाओ में भी स्वतंत्र लेखन सम्पादन व सुझाव!सम्पादन :
वैवाहिक परिचय पुस्तिका “हल्दी- हाथ” का प्रकाशन 2004 मे, जिसमे पूरे पंजाब में निवास करने वाले अविवाहित उतराखंडी युवक व युवतियो का परिचय था । इस किताब से लोगो को अपने बच्चो के रिश्ते जोड़ने में काफी मदद मिली । इसका लोकापर्ण मेरे प्रदेश महासचिव के कार्यकाल मे जालंधर में हुआ था । इसके बाद हल्दी हाथ के भाग 2 और 3 भी निकल चुके हें ।गढ़वाल सभा भटिंडा की “स्मारिका” का सम्पादन 2006 मे बठिंडा में । सभा के 46 वर्षो के इतिहास में पहली बार इस स्मारिका का प्रकाशन हुआ और सभा का लिखित इतिहास भी छापा गया , ताकि सदस्यों को सभा के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ।
गढ़वाली प्रतिनिधि सभा पंजाब की स्मारिका “प्रतिनिधि –दर्पण” का सम्पादन 2009 मे बठिंडा में ,इस पुस्तक में 1979 से 2008 तक प्रतिनिधि सभा की गतिविधियों को लिखा गया और सभी भूतपूर्व प्रधान , महासचिव व कोशाध्यक्ष के बारे में विस्तृत से छापा गया ताकि आज की युवा पीढ़ी उनके बारे में पढ़ कर , अपने समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिले ।
उतराखंड समाज प्रीतिनिधि सभा हरियाना की वार्षिक पत्रिका “पहचान” भाग 1 व 2 का सम्पादन 2012 व 2020 मे ।
हमारी सभाओ की गतिविधियां अखबारो में साक्षिप्त रूप में छपती थी । अत हमने निर्णय लिया की अपनी सभा का मुख पत्र छापेंगे और प्रशाशन व शशन तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे । साथ साथ पूरे हरियाणा में हमारे लोगो को एक दूसरे की सभाओ की जानकारियाँ मिलेगी , जिससे आपसी एकता बढ़ेगी । इसकी पूरी जिम्मेवारी लेते हुये मुख पत्र का पंजीकरण न लिया गया और विगत एक वर्ष से हर महीने इसका प्रकाशन हो रहा हें । अभी इसका प्रकाशन 2000 प्रतियाँ हर महीने हो रही हें। उतराखंड समाज प्रतिनिधि सभा हरियाणा के मासिक मुख पत्र “ हिलांश-दर्पण “ में संपादक , “ प्रबंध संपादक व वितीय प्रबंधन “ की जिम्मेवारी निभा रहा हूँ । देश में यह पहली सामाजिक संस्था होगी जिसका कोई मासिक मुख पत्र होगा ।
प्रकाशित कुल पुस्तकों का नाम-
हिंदी में
काव्य संग्रह
- उतराखंड की आवाज 1995
- अक्टूबर -1994, 2004
- पहाड़ का दर्द, 2012
- और कलम लिखती रही, 2016
- एक थी..... टिहरी, (प्रेस में प्रकाशाधीन)
- प्रवासी हिम शिखर..... जीवनी साहित्य (प्रकाशाधीन)
- मेरा गांव-दनोली एक नजर (लेखन जारी है)
संस्थाओं द्वारा मिले सम्मान-
सम्मान प्राप्त :--
- "गढ़ गौरव सम्मान" उतराखंड हिलांस कला मंच , पटियाला , 2002 ।
- "उतराखंड गौरव सम्मान" , उतराखंड गढ़वाल सभा यमुनानगर , 2012 ।
- "काव्य श्री सम्मान", उतराखंड हिलांस कला मंच पटियाला , 2014।
- पर्वत गौरव सम्मान, लोक विकास समिति, द्वारिका, नई दिल्ली । 2015
- पंजाब व हरियाणा की विभिन्न पहाड़ी संगठनों के द्वारा सामाजिक कार्य हेतु प्रोत्शाहन समय समय पर।
सामाजिक, सांस्कृतिक , कलात्मक आदि विभिन्न क्षेत्रो मे अनुभव तथा उपलबधिया :
बचपन में 4 वर्ष की उम्र में शिक्षा के लिए अपने पिता जी के साथ पंजाब के अबोहर शहर मे आ गया था । स्कूल व कॉलेज के समय से ही सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यो मे रुचि रही। NSS व भारत विकास परिषद मे प्रमुख सदस्य के रूप मे कार्य किया । मेरे पिता जी भी शुरू से ही अपने समाज से जुड़े रहे और मुझे भी जुडने की प्रेरणा दी । 1994 उतराखंड आंदोलन के समय अपने समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली । उसके बाद अपने समाज के साथ लगातार जुड़ा रहा और कई क्षेत्रो मे अपने पहाड़ी समाज को नया आयाम देने का प्रयास किया ,
मुख्य विवरण निम्नानुसार हें :
- 1994-1996 मे पहली बार “गढ़वाल सभा अबोहर” का कार्यकारणी सदस्य बना।
- 1996-1998 मे “गढ़वाल सभा अबोहर” के सचिव पद पर चुना गया।
- 1998-2000 मे पंजाब की सबसे बड़ी प्रांतीय सभा “गढ़वाली प्रतिनिधि सभा पंजाब” के उप-सचिव के पद पर चुना गया।
- 2000-2002 मे “गढ़वाल जन कल्याण सभा लुधियाना” के क्षेत्रीय प्रधान के पद पर चुना गया।
- 2002-2004 मे “गढ़वाली प्रतिनिधि सभा पंजाब” के प्रदेश महासचिव पद पर चुना गया।
- 2005-2007 मे “गढ़वाल भ्रातृ मण्डल भटिंडा” के प्रधान पद पर चुना गया।
- 2007-2009 मे पुन: दूसरी बार “गढ़वाली प्रतिनिधि सभा पंजाब” के प्रदेश महासचिब के पद पर चुना गया
“1994 से लेकर 2009” तक पंजाब मे अपने समाज को एक नई पहचान देने मे प्रयासरत रहा और सफलता भी मिली , उपरोक्त पदो पर रहते हुए अपनी संस्कृति , रिवाजो, परम्पराओ, भाषा के उत्थान व सरक्षण के लिए कई कार्यो को किया जो की पहाड़ी समाज की पहचान के लिए अत्यंत जरूरी था । कई नई योजनाओ की परिकल्पना को तैयार कर उन्हे जमीनी स्तर पर हकीकत मे बदला जिससे पहाड़ी समाज का विशवास अपनी सभाओ पर बढ़ा और पांजाब में उतराखंड के लोगो को और समाज को एक पहचान मिली । रामी-बौरानी नाटक का मंचन , 1994 मे पंजाब के विभिन्न शहरो मे उत्तराखंड रैलियो का आयोजन, सांस्कृतिक कार्यकर्मो का आयोजन, विभिन्न गोष्टीओ का आयोजन , उतराखंड को जानो प्रतियोगिता का आयोजन आदि मुख्य कार्यो की शुरुआत की , जिसका अब अनुकरण हो रहा हें । 2 अक्तूबर 1994 की दिल्ली रैली में भाग लिया गढ़वाल सभा अबोहर के साथियो के साथ ।
“गढ़वाली प्रतिनिधि सभा”
पंजाब की सबसे बड़ी सभा हें जिसका गठन पंजाब मे आंतकवाद के दौरान अपने लोगो की सुरक्षा के लिए 1979 मे किया गया था। यह प्रतिनिधि सभा पंजाब के विभिन्न नगरो मे कार्यरत 31 गढ़वाली सभाओ का प्रतिनिधित्व करती हें। विगत 37 वषों से यह संस्था अपने समाज के लोगो के हितो में लगी हुई हें! इस संस्था का दो बार प्रदेश महासचिव रह चुका हु। अपने महासचिव कार्यकाल के दायरान सर्वप्रथम बार “हल्दी हाथ” पुस्तिका का विमोचन किया , ताकि हमारे समाज के लोगो को योग्य वर – वधू मिल सके और वो दूसरे समाज के साथ रिश्ता न जोड़ सके। 2008 में उतराखंड सनस्क्र्ति विभाग के सहयोग से तीन दिवसीय “कौथिग" का आयोजन पटियाला में किया । युवा पीढ़ी को अपने समाज , संस्कृति को निकट लाने का यह प्रथम प्रयास था।वर्ष 2010 , मे ट्रान्सफर होकर हरियाणा के गुड़गाँव (हैड ऑफिस) आ गया । यहाँ आकर धीर धीरे अपने समाज के प्रति भी जुड़ता रहा। हरियाणा के विभिन्न नगरो मे लगभग 55 पहाड़ी संगठन कार्यरत थे लेकिन कोई ऐसा प्रांतीय स्तर पर संगठन नहीं था की सभी सभाए एक छत्र के नीचे आ जाये ।विगत 40 वर्षो सभी सभाए अपने अपने नगरो में कार्य कर रही थी जिससे उतराखंड के लोगो की पहचान एक शहर तक ही सीमित था।हरियाणा में भी हमारा समाज एक झंडे के नीचे हो और हमारी पहचान बने , इसलिए स्व-निर्णय लिया की पंजाब की तर्ज़ पर ही हरियाणा में भी ऐसा एक प्रांतीय संगठन बनाऊँगा , जिसकी दिशा निर्देश पर सभी इकाई सभाये कार्य करे जिससे प्रांतीय स्तर पर पूरा पहाड़ी समाज एक नज़र आए जिस से हमारी न केवल एक समाजिक बल्कि राजनेतिक पहचान भी बन सके। जुलाई 2010 से सभी सभाओ के साथ बातचीत व पत्राचार सुरू किया । हर शहर मे जाकर सभाओ को मिलना शुरू किया । शुरुआती परिणाम उत्साहवर्धक नहीं थे फिर भी विभिन्न शहरों मे जा जा कर प्रयास जारी रखा । अपने लोगो को प्रोत्साहित किया और धीर धीरे सभी सभाओ को समझ आने लगा की प्रांतीय एकता जरूरी हें । बैठको का दौर चलने लग गया और आखिर फिर वो दिन आ ही गया जब हरियाणा में “उतराखंड समाज प्रीतिनिधि सभा हरियाणा” का गठन हुआ और 7 अप्रैल 2011को पहली प्रांतीय कार्यकारणी का गठन अंबाला में हुआ । शुरू में इस प्रांतीय सभा के साथ हरियाणा को 17 सभाए जुड़ी थी लेकिन आज इस सभा के साथ गढ़वाल व कुमाऊँ की 41 सभाए सदस्यता ले चुकी हें । परिणामस्वरूप पहाड़ी समाज अपनी राजनेतिक पहचान भी बना चुका हें । वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में हमारा एक भाई श्री भारत भूषण जुयाल प्रदेश सह – प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहा हें । विगत दो वर्षो में हरियाणा सरकार से अनुमानित 1.10 करोड़ रुपयो का आर्थिक अनुदान अपनी बिभिन्न नगरो की सभाओ के लिए प्राप्त किया हें , जिसका उपयोग हमारे भवन और मंदिर के विस्तार के लिए किया जा रहा हें । दिनाक 8 नोव्म्बर 2015 को उतराखंड दिवस की पूर्व संध्या पर यमुना नगर में आयोजित प्रांतीय स्तर सांस्कृतिक कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर मुख्य मेहमान थे।
वर्तमान में, "उतराखंड समाज प्रीतिनिधि सभा" हरियाणा के प्रदेश संयोजक व मुख्य संस्थापक व संयोजक के नाते अपना अनुभव दे रहा हूँ। आज इस प्रांतीय सभा के साथ हरियाणा के यमुनानगर, अंबाला, पंचकुला, पिंजोर, सूरजपुर, करनाल, कुरुक्षेत्र,सोनीपत,पानीपत,सिरसा,हिसार,फतेहबाद,जींद,भिवानी,रोहतक,
चरखी-दादरी,गुड़गाँव व फरीदाबाद की 38गढ़वाल व कुमाऊँ की संस्थाए सदस्य हें जो हरियाणा में लगभग 8 लाख उतराखंडियों का नेत्रत्व करती हें । पूरे भारत वर्ष में यह एक अनूठा उदाहरण हें जहां गढ़वाल व कुमाऊँ की सभाए मिल कर एक झंडे के नीचे कार्य कर रही हें । और संगठन बनने के बाद हर राजनीतिक पार्टियां चाहे वो राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय,सभी उतराखंड समाज को अपने साथ जोड़ना चाहती हें । विगत 25 वर्षो से अपने समाज को प्रवास में अन्य समाजो के बराबर पहुंचाने के लिए प्रयासरत हूँ , इसीलिए आज पंजाब,हरियाणा,चंडीगढ़, उतराखंड व राजस्थान के पहाड़ी संगठनो में जागरूकता अभियान के तहत आना जाना लगा रहता हें ।
बिजेन्द्र सिंह रावत "दगड़या"
2 टिप्पणियाँ
प्रेरक व्यक्तित्व।
जवाब देंहटाएंNice rawat ji
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