---'माँ ----
माँ का अलावा
होर
कै-सणि रंदि
ब्यट्टे फिकर!
हे मेरा!
जब चोट लगदि
त
फूँक मारदि मेरी माँ
गलती ह्वोण पर
लाठू भी उठोंदि माँ।
त
फूँक मारदि मेरी माँ
गलती ह्वोण पर
लाठू भी उठोंदि माँ।
दाथुडि दगडि कन घास काटदि माँ
हळ पर गळक छूटदि त
कुल्लन तिरवाळ-धिस्वाळ
खौंण्दी माँ ।----
हळ पर गळक छूटदि त
कुल्लन तिरवाळ-धिस्वाळ
खौंण्दी माँ ।----
----रतन राणा राउमावि पाला कुराली, कक्षा-6
रतन राणा ।
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