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Chandni Se Nahate Honge चांदनी से नहाते होंगे

चांदनी से नहाते होंगे


जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे ,
Chandni Se Nahate Honge चांदनी से नहाते होंगेतो मेरी याद में वो भी टेसू बहाते होंगे।।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे।।

ये माना वो अपने कामों में उलझे हैं बहुत,
फुर्सत में हों तो मिलन के सपने सजाते होंगे।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे।।

जब देखते होंगे वो सजकर आईना अपना,
नजर से बचने को काजल जरूर लगाते होंगे।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे।।

पूछता होगा उनसे कोई उनका हाल कभी,
वो उदासी में बस अपनी नजरैं झुकाते होंगे।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे।।

ये सोचकर कि आंखैं फिर नम न देख ले कोई,
हां वो दुपट्टे से अपना चेहरा छुपाते होंगे ।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे।।

माना इस सावन में सागर फिर तन्हा रह गया,
ये अवारा बादल उन्हैं भी तो रुलाते होंगे।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे ।।

जब कभी छत पर आ चांदनी से नहाते होंगे ।
तो मेरी याद में वो भी टेसू बहाते होंगे ।।



©डा०विद्यासागर कापड़ी

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