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Wo Hawa Tha वो हवा था


भाई देवेश आदमी की कमल दा को श्रधांजलि

वो हवा था..........
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(कमल दा को मेरा आखरी कलाम)

वो चला गया आज था क्या कोई हवा या फरिश्ता,
पल भर की शैतानियां और जीवन भर का शनासा दे गया,

खुदा बख्से कि बहुत कमियाँ थी मरने वाले में,
पर दिलफेंक इतना निकला कि सब की आँखों मे आँसू दे गया,

अब सुकून मिला सब के कलेजे को जब वो रुख्सत हो गया,
पर कम्जद इतना निकला कि सब के दिल की कहानी ले गया,

उस के जाने से सन्नाटा सा पसर  गया गॉँव की गलियों में,
वो इतना बड़ा लुटेरा निकला कि सब के दिल की रवानी ले गया,

अब नजरें उसी को तलाशती है हर घर के कोनें में,
किसी की हंसी ले गया तो  किसी की आंख का पानी ले गया,

अब ख़ाक ढूड़ोगे भी तो नसीब नही होगी राख उस की,
वो बूढ़ों की लांठी अर बच्चों का गुड़धानी ले गया,

दार लटका दी रस्सी पर उस ने अपने जाने का राज ले गया,
अधूरे वादों में किसी का कल ले गया किसी का आज ले गया,

सकल उस की मिलती थी मेरे दादा जी से भी,
आखरी था शहर में सच्चा पर वो भी निसानी ले गया,

सर्वाधिकार सुरक्षित देवेश आदमी

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