मैं
मैं अपने "मैं" को तराशता हूँ
मैं खुद अपनी मंजिल और रास्ता हूँ
मैं भरा हूँ स्वाभिमान से
एक क्षण को भी फिरा नहीं ईमान से
मैं लिखता हूँ कविता गाता हूँ गीत
नहीं किसी से वैर भाव सब मेरे मन के मीत
मै हर परिस्थिति से नियति से लड़ता रहा लड़ाई
जीत गया कभी ,कभी चोट भी खाई
कविता में लिखता मैं अपने मन की बात
उजियारा दिन कभी ,कभी अन्धेरी
करता हूँ पन्ने काले घिसता हूँ कलम
युग -नेता सिद्ध पुरूषों को बारम्बार नमन
राजेन्द्र सिंह रावत©
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