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Kuchh Guftgu Hi Kar Lo कुछ गुफ़्तगू ही कर लो

बहारें ढुंड़ेंगी हमें हम नजाने फिर कहाँ होंगे..?
मत्ला तो ये है वो दिन न फिर अल्फांजों में बंयां होंगे,,
तकदीर से मिले हो तो कुछ गुफ़्तगू ही कर लो,,
जहाँ सब चले गए क्या पता हम भी वहाँ होंगे,,

आदमी

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