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Jug Jug Jiya Negi Da जग जग जिया नेगी दा

गडवाळ की शान भैजी
उत्तराखंड कु ताज छै
मान अभिमान भैजी
हिंवाळी कांठ्यू की शान छै
                     
दुवा छन तुम दगडी
रैबासी प्रवास्यों की
दुवा कना छन तुमर बान
डाळी बुटी हिंवाळी कांठों की

चखुळ बी घोळ छोडी
डांडा कांठो मा खुज्यांणा तुम
राजी रावा भैजी तुम
देवी द्यवतों तै सुमिरांणा छन

देश परदेश घर बंण
ईष्ट सबी सुमिर्यांणा छन
अस्पताळ बटी झट आवा घर
उठंणु जग जगों गड्यांणा छन

द्यु धुपंण द्यो द्यवतों क
आज भैजी तुमर बान
अनमोल रतन हीरा भैजी
उत्तराखंड की छा तुम शान



बिगड्यां लीडक ब्वारी करीक
फिर से घर बौडाण दा
चखुला उडांणन घोल बटी
ब्यटुला मैत्वड कु तुमन ही पैटांणन दा

सौंण की कुयडी तुमन
धर धारु लौंकांण दा
गडवळी सिपैयुं तै धै लगेकी
जोश तुमन ही त बौर्डर मा दिलांण दा

द्वी गति बैसाख मा म्यार मुलुक
म्याळ तुमन उर्यांण दा
सुरमा सरेला मा हमतै
तुमन ही त नचांण दा

हर्चीं छीळु बाखरी मेरी
तुमन ही त खुज्यांण दा
ऊंच नीस डांड्यूं मा गाडी
तुमन ही त रिंगांण दा

पहाड की बेटी ब्वार्युं की खैरी
तुमन फिर से बिंगाण दा
हिंवाळी कांठ्युं मा चम
घाम तुमन चमकांण दा

नागंणी बजार बेटी
यैकी तुमन पैटांण दा
खौल्युं का चकोर बाट
तुमतै खुज्यांणा  दा

सात समुंदर जांण की खैरी
फिर से तुमन सुंणाण दा
हळ छोडी भागी काका
काकी उड्यार लुकांण दा

हरच्यां ढ्यबर बखर यैकी
तुमन फिर से खुज्यांणन दा
पंचर जिकुडी मा मेरी
 थ्यगळ यैकी लगै जा दा

 खैरी क अंध्यरों मा बाटु
 हमतै दिखै जा दा
 खोळी क गणेश मोरी क
 नारेंण हमरु पुजी जा दा

हाथन ब्हिस्की फूलन
रम मीतै पिवै जा दा
बखरु की रान मुर्गों की टांग
चुनौ मा यैकी खवै जा दा

मैंगई क जमन मा माया
टक्कों की फिर से बिंगे दे दा
सौ कु नोट कन भन्यांदु
सुट यैकी बतै जा दा

 बणु मा डकवान की चिट्ठी
  झट यैकी पौंछे दे दा
   ब्यौंली बौ तै सिमन्या पौंण
    द्युरों तै राजी बतै द्या दा
   
    नारंगी की दांणी मा मुखडी
    भौजी की बतै दे दा
     डांडा कांठों क ढुंग पुजंण कुन
      घर बौडी की झट यैजा दा
     
      बारा मैनों की बारा रीतु
      बेट्युं की खैरी बतै जा दा
      मेरी मायादार आंख्युं क सुपन्या
      झट यैकी उडै जा दा
     
     देशी छ्वारौं तै पाडी ना ब्वाळो
     ड्यारदूंण बतै दे दा
     मोटी भौजी बिंदी तै यैकी
     चरखी मा फिर रिंटै दे दा
   
     बाग लग्युं मैस्वाग यख
     बंदुक्या जसपाळ बुलै दे दा
     मैत की घुघती तै घुरै
     रितु चैत की बुले दे दा

     सुदी मुदी छन जु गुस्सा
     ऊंतैई मनै दे दा
     गाड बगीगे त्यारु मछोई
     अब खा माछा झमकै दे दा
     
     पल्टों की मार मुछ्यळों की डाम
      खैरी भैजी की सुणै दे दा
      रुवां धुवां सी हुयुं खुद मा वींकी
      ईलाज मीतै बतै दे दा
     
      आन मान शान भैजी
       गौळा की हमरी सांस छै
        जिकुडी की धकध्याट हमरी
         सैरा उतराखंड की शान छै
       
        बाटा घाटा डांड कांठों की
         छुंई बथ सुणै दे दा
         अपर चांण वाळु की मुखडी
         फिर उज्यळी कैदे दा

        मेरु  पाड कु ठंडो पाणी हव्वा
       दिल्ली बंबै मा हमकुन लखै दे दा
       मंगतु फौजी की मांगण ह्वैगे
       चिट्ठी मा जरा लेखी दे दा
     
       डांड्यू मा भग्यानु की
       बंसुळ्युं की भौंण सुणै दे दा
       कलजुगी अवतार बल
       नौछमी नारैण सुणै दे दा
     
       झट आवा ठीक ह्वैकी
       खुद तुम्हरी लगीं दा
        जतका डिमांड लिखीं मेरी
        फिर यैकी सुणै दे दा

           गडवाळ की शान भैजी
           उत्तराखंड कु ताज छै
           मान अभिमान भैजी
           हिंवाळी कांठ्यूं की.....


गढरत्न नेगी जी के शीघ्र स्वस्थ होने की मंगलमय कामनाओं के साथ समर्पित@लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

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