दर्द
---------------------------------------हर वक्त मुझे मरने का गम क्यों सताता है,,
ये मेरे घर का आइना मुझे बहुत रुलाता है,,
नींद में भी मुझे चलने की आदत सी है,,
ए कौन सा दुश्मन है मेरा जो मुझे नींद में भी चलाता है,,
रोज कोई न कोई इस दुनिया को अलबिदा कह देता है,,
उस के जनाजे पर मुझे नजाने क्यों रोना नही आता है,,
जो कल तक मुझ से अपने कर्जे के लिए झगड़ रहा था,,
आज देखो कम्जद मुझे रुला के खाली हाथ जाता है,,
मेरे आँगन की इठलाती लितलियों को कौन उड़ा देता है,,
इन की खुसबू अपने साथ मेरी बेटी की याद जो लाता है,,
मैने सोचा भी नही था दुबारा माँ का प्यार मिलेगा,,
बेटी की लोरी सुनी तो सारा दर्द भुला दिया,,
रात भर जानबूझ कर टहला हूँ अपने घर के आंगन में,,
नींद न आने के बहाने बेटी ने फिर से गोदी में सुला दिया,,
सर्वाधिकार सुरक्षित देवेश आदमी
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