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Chhui Darolyo ki छवीं दारोल्या की

छवीं दारोल्या की :-

कैमा बिंगाऊँ कैमा लगाऊँ आज दर्द उत्तराखण्ड कु ,
नाशा चपेट मा बर्बाद हुणुच आज प्रत्येक मर्द उत्तराखण्ड कु ,

आँखां बण्या छी लाल धतूर , छवीं लगाणुच हव्वा मा ,
दिन्न भर म्वारी ,म्वारी ध्याड़ी कनुच .सामबगत उडाणुच पववा मा ,

रिस्ता नाता बिगडी गेनी सब्ब ,कर्ज -  पात का बारा मा ,
मजाक उडाणुच गाँव गल्या भी , आपुडौं कु भी क्वी सारा ना ,

सुबेर उठिकी बर्मुन्ड़ पकड्यू चा ,सोच मा प्वाड्यूँचा भारी ,
परिवार का खातिर दिन भर ध्याड़ी ,बिसरी जांद ओ सामबगत कुटुमदारी ,

दागुडु कर्यूँचा खत्यां बित्यूँ कु , जैकु अलोग ना पलोग ,
आख्यूँ आंख्यूँ मा रिन्गणुच सबकु ,नाम धना छी बनी बनी का लोग ,
लोन व्हेग्यायी चबट् दारू मा लौटाणा की वेफर चिन्ता ना ,
खूँन् का आँशु रूणुच होश मा ,बेहोश कु बाद क्वी चिन्ता ना ,

नौन्याल रूणा छी ऐड़ाट्ट के , ओ धुत्त बण्यूँच खटुली मा ,
रोज कु झगड़ा कज्याणी की मार ,मुन्ड़ीली फर वेकी लटुली ना ,

नौन्यालूँ की फीस कौपी किताब ,लाला बाताणु च वेमा हिसाब ,
मुखड्युन्दा वेकी रात पोड़ींचा ,रूणु गंगजाणुच ओ बेहिसाब ,

सौं कसम खूब खाणुचा ,जै कै का समणी ओ बाल बच्चों का ,
ठगी ,ठगी का हालत भुरा कर्यां छी ,वेका आज अच्छा अच्छौं का ,

कैमा लगाऊँ कैमा बिंगाऊँ आज दर्द उत्तराखण्ड कु ,
नशा चपेट मा बर्बाद हुणुचआज प्रत्येक मर्द उत्तराखण्ड कु ,

 सर्वाधिकार सुरक्षित लाल चन्द निराला ..lll

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