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अबारिं दौं

अबारि दौं तु बेटा घौर जरूर ऐ
तेरी ब्वे सगत बीमार च
लगदा मंगसीर तेरी छोटी भूलि सरू कु ब्यो चा
दहेज मा ऊंकि मांग
मोटरसाइकिल अर कार च!!!
पिछला के सालो बटि लून भी पास नि हुणू
कनि या हमारी निरदयी सरकार च
क्या कन अब तु ही बतो बेटा
ये बुडेन्दु दों तेरू बुबा बहोत लाचार च!!!
तेरा जंया भी चार साल पुरा ह्वेग्या
कब मनियाडर ओलु तेरू
नजर मेरी हमेशा डाकघर च!!!
कन नौकरी च बेटा तेरी जेमा छुट्टी भी नि मिलदि
या तु अपुणु पहाड नि आण चान्द
ऐस आराम वा शहर की रौनक वा मशीनी जिन्दगी
पर येखकि हमारी पहाड की ठण्डी हवा युं बांजे की डाल्यो कु छेल
मां बापु कु दगुडु तेरा अपना ग्वालापन का गेल
तेरी तें शहर की चकाचोंद ये पहाड का सामणि बेकार च!!
बाटा देखणि या डाण्डा कांठि
त्वे ते अपणो मु बुलाणि च
ऐ जा लाडा आंखि तरसि मेरी
आखिर येख तेरू घार च!!!!!
                                       दीपू बिष्ट
                              ढमढमा चमोली गढवाल

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