नानतिनाओ रे' (कुमाउनी कविता)
- पूरन चन्द्र काण्डपाल
नानतिनाओ रे,
हमारा नानतिनाओ रे,
पिछाड़ि झन रया
दुनिय दगै जाओ रे,
अगास में उड़णियां
पंछी कणी देखो,
उड़नै उड़नै आपणि
मंजिल पुजिगो,
वीक चार तुम आपण
लक्ष्य बनाओ रे..पिछाड़ि झन....
नि करला काम तुम
पिछाड़ि रै जला,
देशा का दुश्मण तब
अघिल न्है जला,
ओ देशा का सपूतो
कदम उठाओ रे...पिछाड़ि झन...
मैक दूद पे छ
वीकि कसम तुमु कैं,
बाबू क संदेश कि
कसम तुमु कैं,
घर- गौं- इलाकौ क
नाम कराओ रे...पिछाड़ि झन...
देशा का शहीदों कणी
तुम झन भुलिया,
जां उनार कदम पड़ीं
जागी चूमि लिया,
और गीत छोड़ो
गीत देशा का गाओ रे...पिछाड़ि झन...
देश की आन बान का
रखवाला तुमें छा,
देश कैं बनूणियां
दिलवाला तुमें छा,
अगास में तिरंगै कैं
तुम फहराओ रे...पिछाड़ि झन...
हमारा नानतिनाओ रे
पिछाड़ि झन रया
दुनिय दगै जाओ रे ।
सर्वाधिकार सुरक्षित पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.06.2017
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