सोची नि मिल कबि बोल्ण मा
पर हर बात सोच्ण पोड़दी लेखण मा
अच्काल लोग व्यस्त रैंदी आखर चखण मा
यू क्या पता कख कख गै होलु लेख्वार सोचण मा
पर हर बात सोच्ण पोड़दी लेखण मा
अच्काल लोग व्यस्त रैंदी आखर चखण मा
यू क्या पता कख कख गै होलु लेख्वार सोचण मा
देश पहाड़ घार बौण सब याद ऐ जांद
आखरों थै ऐथर पैथर कचमोड़णण मा
वक़्त सर्या दिनमान भरा कु लग जांद
रीटि की फिर उई लैन फर फरकण मा
आखरों थै ऐथर पैथर कचमोड़णण मा
वक़्त सर्या दिनमान भरा कु लग जांद
रीटि की फिर उई लैन फर फरकण मा
स्यूंण धागा कतगै टुटी जंदी
आखर से आखर गठ्याण मा
कलम कतगा घिसे जंदी
पंक्तियों थै सजाण मा
आखर से आखर गठ्याण मा
कलम कतगा घिसे जंदी
पंक्तियों थै सजाण मा
सालो साल बीत जन्दी
यू आखरों रोपण मा
पंदेरो कु पाणी सूखी जांद
आखरों मौलाण मा
यू आखरों रोपण मा
पंदेरो कु पाणी सूखी जांद
आखरों मौलाण मा
लिखणा कु ज्यूँ त भौत करदु
पर आखरों की कमी च "खुदेड़" ये प्राण मा
खुज्यांद खुज्यांद दूर भिंड्या चली जांदू
आखरों थै खुज्याण मा
पर आखरों की कमी च "खुदेड़" ये प्राण मा
खुज्यांद खुज्यांद दूर भिंड्या चली जांदू
आखरों थै खुज्याण मा
लिख्यु जनु भी होलु पर सेली पोड़ी जांद
आखरों कैका जिकुड़ा पुटुग कुच्याण मा
पसंद आयी हो "खुदेड़" की कल्पना त
वक़्त नि लगलु ऐथर सरकाण मा।
आखरों कैका जिकुड़ा पुटुग कुच्याण मा
पसंद आयी हो "खुदेड़" की कल्पना त
वक़्त नि लगलु ऐथर सरकाण मा।
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