कभी न कभी त ऐलू
कभी न कभी त ऐलू तू बौड़ी की
कोसी नदी (गर्जिया मन्दिर) |
पर जब तू ऐलू अबेर ह्वेगे ह्वेलि
तब मी तेरा कुछ काम कु बि नि होलू
तेरा औण तक मि बेसहारा ह्वै जौलू
आज मी रूणू छौ तेरी याद मा
भोल तू रोली मेरी बर्बादी मा
क्या नीच मीमा जू छोड़ी मी थै चलिगे
जन कुई नि होलु मेरु इन कैगे
स्यखुन्द जैली खारू बासी पाणी प्येली
नकली बनावटी हवा खैली बीमार पोड़ीली तब फीर
शुद्ध हवा पाणी का वास्ता बौड़ी की मीमा ऐली
अफ़सोस! तब तक मी भी शायद ही बनावटी ह्वै जौलू
अनोप सिंह नेगी(अनिल)
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