सावन की मधुशाला...... भीग-भीगकर पीता हूं मैं , घन ने भेजी है हाला । सजी धरा पर है सावन की , आज मधुर सी मधुशाला ।। बूंदों को चुन-चुनकर के , …
मधुशाला अरि के उर हो प्रतिशोध की, धधक रही बड़ी ज्वाला | उसको नीर बना सकती है, वाणी की ही मधुशाला || यदि कोई रखता हो उर में, गरल मिली थोड़ी हाला | मैं उसके हित…
मधुशाला दीप जलाकर नव मयूख से, खोल दिया उर का ताला | नवल दिवस में भेज रहा हूँ , शुभ स्मृति की मधुशाला || हृदय में नव आनन्दों का, छलके परिमल का प्याला | और बुलाये …
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