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Kise Kah Rahe Sal Naval किसे कह रहे साल नवल

  किसे कह रहे साल नवल......

Kise Kah Rahe Sal Naval   किसे कह रहे साल नवल   भारत माँ कहती है बेटा,
          किसे कह रहे साल नवल।
   लहर शीत की थमी नहीं है,
         गगन नहीं है अभी धवल ।।

   दिनकर का भी नहीं हुआ है,
         उत्तर दिग में गमन अभी।
 कोयल छुपी हुई है वन में,
        सोया ही है चमन अभी।।

   पीत नहीं हैं खेत अभी तो,
           सूरज में भी ताप कहाँ ?
  कलियों ने आँखें मूंदीं हैं,
       होली की है थाप कहाँ ?

अभी वात में शीतलता है,
          सर में सोया हुआ कमल ।
भारत माँ कहती है बेटा,
        किसे कह रहे साल नवल ।।

विटप मौन से खड़े हुए हैं,
           पतझड़ है डाली-डाली ।
सोईं कलियाँ जाग उठेंगी,
            गीत भरेगा जब माली ।।

पुष्पित होंगे खेत सुहाने,
         मुदित धरा का होगा मन ।
गेहूंँ की बाली में देखो,
         आयेगा मधुरिम यौवन ।।

गीत अधर में सजने दो रे,
           आने दो मधुमास चपल ।
 तब कहना तुम पुहुपों के संग,
        आया-आया साल नवल ।।

   भारत माँ कहती है बेटा,
          किसे कह रहे साल नवल ।
  लहर शीत की थमी नहीं है ,
        गगन नहीं है अभी धवल ।।

©डा० विद्यासागर कापड़ी
       सर्वाधिकार सुरक्षित

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