क्या करें............?
पावन गणतंत्र दिवस पर मेरे मन का प्रश्न मुझसे.....
गण का तंत्र चलना चाहिये तो था मगर,
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
देश के लिये जो कानून जरूरी है बहुत,
उसी पर देश जलने लग गया तो क्या करें?
जिसको जनता को सदा सच बताना था यहाँ,
जनता को वो छलने लग गया तो क्या करें?
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
पाक के बोल हैं तो मान लो ये नाग है,
आस्तीन में पलने लग गया तो क्या करें?
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
था कभी शिक्षा सुमन उर में मेरे देश के,
बन नागफनी फलने लग गया तो क्या करें?
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
देशहित में काम हों मूल है गणतंत्र का,
अब अर्थ ही बदलने लग गया तो क्या करें?
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
तोड़ता है देश को कुर्सी पाने के लिए,
पगला बना मचलने लग गया तो क्या करें?
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
गण का तंत्र चलना चाहिए तो था मगर,
भीड़ का तंत्र चलने लग गया तो क्या करें?
देश के लिए जो कानून जरूरी है बहुत,
उसी पर देश जलने लग गया तो क्या करें?
मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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