शीर्षक- "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा,
.
फूटपाथ पर, जितने गरीब लोग रहते हैं,
फूटपाथ को ही जो, अपना घर कहते हैं,
गरमी, बरसात, सरदी कोई भी मौसम हो,
हर मौसम को वो फूटपाथ पर ही सहते हैं,
ऐसे गरीब से मैं, मिट्टी के दीये खरीद कर लाऊँगा,
सोचा है, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
.
ना कोई बम फोडूँगा, ना कोई भी पटाके फोडूँगा,
ना ही फुलझड़ी, अनार, ओर ना ही रॉकेट छोड़ूँगा,
मुझको शुद्ध, स्वच्छ हवा में, जीवन जीना है मेरे मित्रों,
आप भी ऐसा ही करें, आपको मैं अपने हाथ जोड़ूँगा,
एक जागरूक नागरिक होने के नाते, मैं अपने पर्यावरण को बचाऊँगा,
इसलिये सिर्फ दीप जलाके, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
.
माँ लक्ष्मी की पूजा-आराधना करके, मैं अपने द्वार खोल दूँगा,
माँ आप मेरे घर में पधारें, दोनों हाथ जोडकर उनको बोल दूँगा,
हे माँ लक्ष्मी मेरे जीवन में आकर, मुझको आप धन्य कीजिए,
बदले में आप जो भी चाहेंगी माँ, मैं आपको वो हर मोल दूँगा,
माँ लक्ष्मी जी के दर को मैं, दीप, धूप, पुष्प, श्रृंगार से सजाऊँगा,
माँ के आशीर्वाद से, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
.
सतयुग में राम जी जब अयोध्या आए थे, तब केवल दीपक जले थे,
कलयुग में बनी हैं बारूद की फैक्ट्रियां, वो मनुष्य भी कितने भले थे,
इसलिए प्रदूषण फैलाकर आप, अधर्म की ओर ना बढिये मेरे साथियों,
मत भूलिए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम, सदा धर्म के मार्ग पर चले थे,
मैं भी भक्त हूँ प्रभु श्रीराम जी का, इसीलिए जीवनभर उनके गीत गाऊँगा,
माथे पर लाल तिलक लगाके, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा".
.
आपको ओर आपके पूरे परिवार को दीपावली की हार्दिक, मांगलिक शुभकामनाएं,
.
कवि- सतीश सिंह बिष्ट,
ग्राम- नैखाणा, (नैनीडांडा, धुमाकोट),
जिला- पौड़ी गढ़वाल,
राज्य- उत्तराखंड,
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फूटपाथ पर, जितने गरीब लोग रहते हैं,
फूटपाथ को ही जो, अपना घर कहते हैं,
गरमी, बरसात, सरदी कोई भी मौसम हो,
हर मौसम को वो फूटपाथ पर ही सहते हैं,
ऐसे गरीब से मैं, मिट्टी के दीये खरीद कर लाऊँगा,
सोचा है, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
.
ना कोई बम फोडूँगा, ना कोई भी पटाके फोडूँगा,
ना ही फुलझड़ी, अनार, ओर ना ही रॉकेट छोड़ूँगा,
मुझको शुद्ध, स्वच्छ हवा में, जीवन जीना है मेरे मित्रों,
आप भी ऐसा ही करें, आपको मैं अपने हाथ जोड़ूँगा,
एक जागरूक नागरिक होने के नाते, मैं अपने पर्यावरण को बचाऊँगा,
इसलिये सिर्फ दीप जलाके, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
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माँ लक्ष्मी की पूजा-आराधना करके, मैं अपने द्वार खोल दूँगा,
माँ आप मेरे घर में पधारें, दोनों हाथ जोडकर उनको बोल दूँगा,
हे माँ लक्ष्मी मेरे जीवन में आकर, मुझको आप धन्य कीजिए,
बदले में आप जो भी चाहेंगी माँ, मैं आपको वो हर मोल दूँगा,
माँ लक्ष्मी जी के दर को मैं, दीप, धूप, पुष्प, श्रृंगार से सजाऊँगा,
माँ के आशीर्वाद से, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा",
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सतयुग में राम जी जब अयोध्या आए थे, तब केवल दीपक जले थे,
कलयुग में बनी हैं बारूद की फैक्ट्रियां, वो मनुष्य भी कितने भले थे,
इसलिए प्रदूषण फैलाकर आप, अधर्म की ओर ना बढिये मेरे साथियों,
मत भूलिए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम, सदा धर्म के मार्ग पर चले थे,
मैं भी भक्त हूँ प्रभु श्रीराम जी का, इसीलिए जीवनभर उनके गीत गाऊँगा,
माथे पर लाल तिलक लगाके, "इस बार मैं कुछ अलग दीपावली मनाऊँगा".
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आपको ओर आपके पूरे परिवार को दीपावली की हार्दिक, मांगलिक शुभकामनाएं,
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कवि- सतीश सिंह बिष्ट,
ग्राम- नैखाणा, (नैनीडांडा, धुमाकोट),
जिला- पौड़ी गढ़वाल,
राज्य- उत्तराखंड,
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