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Kaun कौन...........

कौन...........

Kaun कौन...........  कौन डूबने वाले को अब,
              अपना हाथ बढ़ाता है ।
   कंधा देकर सोपानों में ,
            कह दो कौन चढ़ाता है ।।

अपने दुखियारे मन के तुम,
            किसको गीत सुनाओगे ।
 चतुराई से भरे हुये सब,
           किसको मीत बनाओगे ।।

जिसको अपना कहो यहाँ पर,
           वो ही पैंच फँसाता है ।
कौन डूबने वाले को अब,
         अपना हाथ बढ़ाता है ।।

होता दीप जला पथ पर तो,
           सब ही साथ निभाते हैं ।
 तमस मिले तो छोड़ अकेला,
         निज का पथ अपनाते हैं ।।

विजय मिलेगी तो जग वाले,
          घर आकर हँस जायेंगे ।
 अगर पराजय लगे हाथ तो,
          बातों से डस जायेंगे ।।

सुख सबका ही बाग यहाँ पर,
          दु:ख निजता की खेती है ।
साथ दु:खों में माँगो, जगती ,
          सीख हजारों देती है ।।

झूठे उर वाला ही जग में ,
          सत का पाठ पढ़ाता है ।
कौन डूबने वाले को अब,
         अपना हाथ बढ़ाता है ।।

कंधा देकर सोपानों में,
             कह दो कौन चढ़ाता है ।
कौन डूबने वाले को अब,
            अपना हाथ बढ़ाता है ।।

©डा० विद्यासागर कापड़ी
      सर्वाधिकार सुरक्षित

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