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Jansankhya जनसंख्या

जनसंख्या


Jansankhya जनसंख्यादुन्यां मा जनसंख्या बढ़ी
संगती आबादी ह्वे,
चार छोरों तै स्कूल हरची
द्वी छोरों स्कूल जाणौ ह्वे।
परिवार मा आबादी बढ़ी
परिवार मा गरीबी ह्वे
जनसंख्या ज्यादा ह्वोण से
बणौं डाळों चिरान लगी।
यका चार,
 चारों का सौळा ह्वैन,
मकान बणोणो जगै नि ह्वे
तब तौंन बण कटैन।
यौं दिन अब यन आलू
जब सैरि दुन्यां अकाळ पड़लू
येकु जुम्बार सिर्फ़ मनखी
 बढदि जनसंख्या राली।
चार पाँच छोरों तै,खवौण
बडु-भारी जुलम हवैगी,
छोटु जौंकु परिवार
तख छक्कीं खतैंणौं भी
पौदू ह्वेगी।

----खुशी राणा कक्षा 8, राउमावि पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग
प्रस्तुति अश्विनी गौड  अध्यापक विज्ञान  राउमावि पाला कुराली जखोली रूद्रप्रयाग ।

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