आंखें अनमोल धरोहर
आंखें जीवन की अनमोल धरोहर होती।
जीवन नैया में सुख दुःख समर्पित होती।
आंखें
जीवन की उम्मीदें लेकर,
प्रतिकूल परिस्थितियां बनकर,
कभी अस्तित्व पर सवाल करती।
आंखें जीवन की अनमोल---------
जीवन नैया में सुख दुःख----------
बिना आंखों प्रकृति
स्वरूप का,
सृष्टि क्रम सृजन
में स्वप्न अधूरा,
नीर
अश्रु कणों बिना अहसास,
जीवन मूल्य में सुख-दुख अधूरा।
आंखें जीवन की अनमोल----------
जीवन नैया में सुख दुःख-----------
खुशियों के आंसु से जब आंखें,
सैलाब
बन भर उमड़
पड़ती।
सहर्ष खुशियों में मन की फुहारें,
अपनों
से बातें साझा
करती।
आंखें जीवन की अनमोल-----------
जीवन नैया में सुख दुःख------------
बोझिल भरी होती हैं आंखें जब,
अंतःकरण व्यथा
व्यक्त करती।
अरमानों
की घुटन वेदिका तब,
अश्रुओं से दिलका राज खोलती।
आंखें जीवन की अनमोल-------------
जीवन नैया में सुख दुःख--------------
अश्रुपूरित भावनाओं
में बहकर,
दिल के राज
राजदार ना होते।
कभी
कभी उथल-पुथल कर,
अपनों
संमुख हंगामा बरपाते।
आंखें जीवन की अनमोल--------------
जीवन नैया में सुख दुःख---------------
असंख्य
दर्द पीड़ा अश्रुओं से,
रिश्तों कभी
बबंडर बन जाता।
मन की बातें मन दफन करने से,
दर्दिल तूफान और घातक होता।
आंखें जीवन की अनमोल--------------
जीवन नैया में सुख दुःख---------------
आंखें होती सच्ची
जीवन साथी,
आंखों बिना जीवन महत्व कहां।
अंधों से पूछो
अहसास की बातें,
हरियाली का उन्हें अहसास कहां।
आंखें जीवन की अनमोल--------------
जीवन नैया में सुख दुःख---------------
सुनील सिंधवाल "रोशन" (स्वरचित)
काव्य संग्रह "हिमाद्रि
आंचल"
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर रचना।
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