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Phooldeyi Fulari. फूलदेई फुलारी

फूलदेई फुलारी

"फूल देई, छम्मा देई, देणी द्वार, भर भकार, ये देली थै बारंबार नमस्कार, फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई।"

भारतीय नववर्ष व फूलदेई की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

फूलदेई उत्तराखण्ड के मुख्य त्योहारों में से एक है, इस त्योहार को हिन्दू नववर्ष के आगमन पर बसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है। चैत्र माह की शुरुआत में इस त्यौहार में बच्चों में बहुत हर्ष उल्लास बना रहता था। आज के ही दिन बच्चे जंगलो से फ्योंली, बुरांश, आड़ू आदि के फूलो को तोड़कर लाते है, उनके पास एक टोकरी होती है जिसे स्थानीय भाषा मे ठोफरी, ठुफरु आदि कहा जाता है। बच्चे ये फूल तोडक़र लाते है फिर उन्हें गांव के हर घर मे लेकर घूमते है और सभी की देली(दहलीज़) पर फूल और चावल रखते है बदले में घर के सबसे बड़े मुखिया(महिला) द्वारा इन बच्चों को गुड़, चुआ(चौलाई भुनी हुई) और अन्य जो इस दिन घर मे बनाया जाता है, दक्षिणा के साथ देते है।
किसी घर मे कोई बच्चा हुआ होता और यदि उसकी पहली संक्रांत होती तो उसके लिए नई ठोफरी(टोकरी) बनाई जाती थी उसकी पूजा की जाती थी फिर उसको लेकर उसके बड़े भाई बहन या परिवार के कोई और सदस्य गांव के हर घर मे जाते थे। इस त्यौहार को फूल सगान, फूल संग्रान्द आदि भी कहा जाता है।
मुझे याद है जब हम छोटे थे और गांव में घर घर जाते तो हर घर से खूब प्यार आशीर्वाद और खाने की वस्तुएं मिलती थी। मैं कभी जंगलो से फूल चुनकर तो नही लाया लेकिन अपने आसपास जो भी फूल मिलते सभी को अपनी टोकरी में रखता और गांव के और बच्चों के साथ निकल जाया करता था। इस त्यौहार का हमे बड़ा इंतज़ार रहता था। घरवालो से अपनी टोकरी लीपने को कहते सुंदर तरीके से सजाते फूलदेई से पहले से ही अपनी तैयारियां पूरी रखते थे और फूलदेई के दिन निकल पड़ते सुबह सुबह फूल चुनने।
आज के बच्चों को शायद जो गांव में है उन्हें याद हो लेकिन शहरो में रहने वालों को शायद ही पता होगा कि यह त्यौहार क्या है। हमे अपने त्यौहारों को जानना समझना जरूरी है इनके महत्व को समझना चाहिए और इनको पारंपरिक तरीके से मनाना चाहिए, ताकि हम जिस संस्कृति के लिए जाने जाते है उसे जीवित रख सके।
एक बार पुनः आप सभी को फूलदेई/फुलारी और भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ईश्वर आपके जीवन को सुख समृद्धि से भर दे इन्ही शुभकामनाओ के साथ।
नमस्कार

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339

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