नि मिल्दु
न चुल्लू मिलुदु यख न चुल्लौ कि आग ।
अग्यठि दाजि की ना चिलुम सजड़ा साज ।।
मूळा कि थिंच्वड़ी न क्वी घ्यू कि गुँदिकी,
न छँच्या पळ्यो अब न म्वर्रा कि चटिणी ।
न डिगिचि कु झुँग्वरू न पत्यलि कु भात,
अग्यठि दाजि की ना.......।।
वु काका कु रेडू बि अब नी द्यख्येंदु ,
दमौ-ढोल-मशुकु बि अब नी सुण्येंदु ।
न ब्वाडा की ज्याळ-फट्यळि माछा-भात ,
अग्यठि दाजि की ना......।।
व ताँमै कि गगिरी न पँदळि कु पाणी,
घसेर्यों क झुमुका न दथिड़्यों छुँण्याटी ।
न हैळ-लठ्यूड़-दँदँळि-जू कि लाट,
अग्यठि दाजि की ना......।।
जँदिरि-उर्ख्यळि-छँछ्वळि-छनुड़ि सुँत्याळी,
न कीलौं म भैंसी-गौड़ी रम्हाँदी।
न छो-छो न हैं-ल्हैं रमणाट-धुधराट ,
अग्यठि दाजि की ना......।।
बितीं कथा ब्वनी छीं खँद्वार्यों कि छ्वींईं,
तिबार्यों कि कछिड़ि वु ह्यूँद्यूँ कि छ्वींईं ।
यूँ खल्याणौ कि दैंईं वु सुप्यों कि बाथ ,
अग्यठि दाजि की ना......।।
वु लौंफेंदी डाँडी वा तरुणी नयार,
थड़्या- चौंफळा वु रँगिला खाळ-धार ।
झणी बौड़लि बि कबि या मौळ्यार,
भट्योंणी छीं घुघुती घँड्यूड़्यों चुँच्याट...
भट्योंणी छीं घुघुती घँड्यूड़्यों चुँच्याट...........!!
अग्यठि दाजि की ना......।।
यख मिल्दु त बस!!!!
खौन्दार कुड़ी, बांजी पुंगड़ी, बांदरो को जबलाट, मुसो कु दुदराट, सुनसान गाँव, झुमझाम पहाड़,
वीरान डाँडी, सूखी नयार, आणमिला सा मनखी अर सूखा गाड़ धार!!!!!
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339
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