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Hum Ta pardeshi chha हम त परदेशी छा

कड़ुआ मगर सच भाग - 4

हम त परदेशी छा

हम पलायन की बात नि करूला,
चाहे स्यख डुट्याल बसी जा,
किलैकि की हम परदेशी जु छा।

हम गिच्चू भी नि उफरुला,
चाहे सर्या पाहड़ बिकी जा,
किलैकि हम त परदेशी जु छा।

हम डाम कु विरोध भी नि करूला,
चाहे गौ का गौ डूबी जा,
किलैकि हम त परदेशी जु छा।

हम चकबन्दी की मांग नि करूला,
चाहे पुंगड़ी बांजी रै जा,
किलैकि हम त परदेशी जु छा।

हम अपणी भाषा भी बिसरी जौला,
चाहे हमरी उत्तराखण्डी भाषा मंथा से मिटी जा,
किलैकि हम त परदेशी जु छा।

                  पर
तुम त कुछ करा कुछ न सै पर
स्यु गुणी बांदरो थई हका ल्या
तुम त स्यख रैकी भी पुंगड़ी बंज्याणा छा।

तुम त अपणा गौ मुलुक म रैणा छा,
कम से कम अपणी बोली भाषा मा बच्यावा,
तुम स्यख रैकी भी अपणी भाषा मा नि बच्याणा छा।

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339

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