गहत गैथ कुलथ कुल्थी horse gram
नमस्कार दोस्तो आप दाल तो लगभग रोज ही खाते होंगे कम से कम दिन में एक बार। लेकिन शायद आपको यह नही पता होगा कि इनके क्या फायदे हो सकते है। अक्सर हम जब भी बीमार होते है तो डॉक्टर मूंग की दाल या मूंग दाल की खिचड़ी खाने को ही कहते है, आखिर ऐसा क्यों इसमे कुछ तो बात होगी। तो आज हम बात करेंगे एक ऐसी दाल की जो मूंग तो नही लेकिन औषधीय गुणों से भरपूर है।
जी दोस्तो आज बात करूंगा कुलथ/ गहत/Horse Gram की नाम पढ़कर बहुत से मित्र समझ चुके होंगे इसके क्या क्या फायदे है। गहत की विश्व मे 240 प्रजातीया है जिनमे से 23 प्रजातियां भारत मे उपलब्ध है, और बाकि अफ्रीका में। मुख्य रूप से अफ्रीका ही इसका स्रोत माना जाता है।
कुलथ उत्पादक देश
भारत के अलावा इंडोनेशिया, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, चीन, अफ्रीका में भी गहत का उत्पादन किया जाता है। यदि भारत की बात करे तो भारत मे भी लगभग सभी राज्यो में कुलथ का उत्पादन होता है। भारत मे कुलथ का उत्पादन करने वाले कुछ प्रमुख राज्य जैसे कर्नाटक 28%, तमिलनाडु 18%, उड़ीसा 10%, आंध्र प्रदेश 10%, महाराष्ट्र 10% का उत्पादन करते है। गहथ की दो मुख्य प्रजातियां है जिनमे से एक जंगली और एक खेती की जाने वाली है। गैथ में सूखा सहन करने की प्रबल क्षमता होती है। गहथ के बीज लाल, काला, सफेद, और भूरे रंग के होते है। गहथ का उपयोग साधारणतः दाल के रूप में ही किया जाता है। पहाड़ो में इसे पीसकर भी बनाया जाता है जिसे फाणू या चैसु के नाम से जाना जाता है। इसकी दाल को उबालकर फिर सिलबट्टे में पीसकर मसले मिलाकर इससे भरुआ रोटी भी बनाई जाती है जो देशी घी के साथ खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है।
गहत में प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है, कारण है कि गहत विश्वभर में उपयोग किया जाता है। इसके बीज में प्रति 100 ग्राम में प्रोटीन 22 ग्राम, फाइबर 5.3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 57.3 ग्राम, IU आयरन 7.6 मिलीग्राम, कैरोटीन 11.9 ग्राम, मैग्नीज़ 37 मिलीग्राम, फास्फोरस 0.39 मिलीग्राम, कॉपर 19 मिलीग्राम, और जिंक 0.28 मिलीग्राम तक पाये जाते है। गहथ गर्म होने के कारण अधिकतर सर्दियों में खाया जाता है। दास, 1988 व पेसीन 1999 द्वारा शोध में गहथ कैल्शियम व कैल्शियम फास्फेट स्टोन(पथरी) को गलाने और बनने से रोकने के लिए उपयोगी पाया गया। बाजार में मिलने वाली दवाई सिस्टोन(Cystone himalaya कंपनी) जो कि किडनी स्टोन के उपचार में उपयोग की जाती है। पत्थरी रोगियों के लिए तो गहथ रामबाण माना जाता है उत्तराखण्ड में पत्थरी के इलाज में गहथ का काफी समय से उपयोग किया जाता है, जिन्हे डॉक्टर ऑपरेशन की तारीख दे देते है यदि उनको भी इसके बीज का पानी उबाल कर पिलाया जाता है तो पत्थरी जड़ से समाप्त हो जाती है। पत्थरी के अलावा गहथ को अन्य रोगों में भी उपयोगी पाया गया है क्योंकि इसमें फाइटिक एसिड व फिनोलिक एसिड काफी अच्छी मात्रा में पाए जाते है। साधारण खांसी, बुखार, गले के इंफेक्शन में, तथा अस्थमा जैसे रोगों में भी गहथ अति उपयोगी माना जाता है। भारतीय केमिकल टेक्नोलॉजी संस्थान के एक शोध से पता चला है कि गहथ के बीजो में प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेटेज 1- बीटा एन्जाइम को रोकने की क्षमता होती है जो कि शुगर को घटाने में मददगार सिद्ध हुआ है। उत्तराखण्ड में गहत काफी अच्छा और बेहतर होता है किंतु यहां गहथ को कोई बाजार उपलब्ध नही है। इसलिए किसान इसे अनाज की अदला बदली या काफी कम कीमतों पर बेच देते है। जबकि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारो में 140 से 250 रुपये प्रति किलो बिकती है। हिमालया के अलावा और भी कंपनियां शोध कर रही है और गहथ से दवाओं का उत्पादन कर रही है। उत्तराखण्ड के गहथ को सबसे बेहतर पाया गया है।
दोस्तो यदि आपकी जानकारी में बी यदि कोई पत्थरी के रोग से ग्रस्त है और उन्हें आराम नही मिल रहा है इलाज कराने के बाद भी पत्थरी वापिस लौट आती है तो उन्हें कुलथ की दाल का पानी लेने को कहे इससे उनकी पत्थरी हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।
कुल्थी के नाम सभी जगह अलग अलग है जैसे
वानस्पतिक नाम Macrotyloma uniflorum
हिंदी में कुलथी, कुलथ, खरथी, गराहट।
संस्कृत में कुलत्थिका, कुलत्थ।
गुजराती में कुलथी
तेलगु में उलावालु
कन्नड़ में हुरूली
तमिल में कोलू
मराठी में हुलगा, कुलिथ
उत्तराखण्ड में गहत, गहथ, गैथ, गौथ आदि
तथा अंग्रेजी में हार्स ग्राम(Horse Gram) इत्यादि नामों से जाना जाता है।
यदि कुल्थी की दाल लेना चाहते है तो हमसे संपर्क कर सकते है।
9716959339 अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9891431840 शंकर ढोंडियाल
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अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
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