सेमल कॉटन ट्री सेमर कंद Red Silk cotton
आज एक ऐसे वृक्ष के बारे में बात करने जा रहा हूं जो कि स्वास्थ्य के लिए एक लाभदायक वनस्पति है जिसका औषधि के अलावा अन्य प्रकार से भी उपयोग में लाया जाता है।
आज बात करेंगे उत्तराखण्ड में में होने वाली वनस्पति सेमल कि ये उत्तराखण्ड में ही नही बल्कि देश मे लगभग सभी जगह मिल जाता है।
सेमल भारतीय मूल का वृक्ष है और यह वृक्ष भारत के साथ साथ बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, जावा, सुमात्रा, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार आदि देशो में भी पाया जाता है। मूलतः सेमल समुद्र तल से लगभग 1500 मीटर की ऊँचाई वाले स्थानों पर पाया जाता है।
यू तो उत्तराखण्ड में इसका प्रयोग सब्ज़ी और आचार तक ही सीमित है किंतु यदि इसको व्यावसायिक स्तर पर किया जाए तो इसका फैब्रिक में दवाइयों में उपयोग होता है और ऐसी संस्थाओ या कंपनी से संपर्क किया जा सकता है। सेमल को साइलेंट डॉक्टर के नाम से भी जाना जाता है। सेमल के बारे में शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसका वर्णन हिन्दू धर्मग्रंथों में भी देखा गया है। सेमल का वैज्ञानिक नाम बॉम्बैक्स सेइबा
यदि बात करे सेमल की आयुर्वेद के क्षेत्र में तो इसे आयुर्वेद में स्टिमुलेंट, हिमोस्टेटिक, एस्ट्रिंजेंट, डाययुरेटिक,एफोडीयासिक, एंटीडायरियल व एंटीपायरेटिक बताया गया है। सेमल के फूल से लेकर जड़ तक कोई ऐसा भाग नही है जिसका उपयोग न होता हो, सेमल के हर भाग का औषधि में उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेद के क्षेत्र में जानीमानी कंपनी "हिमालया" की Eva care syrup(100रुपये की 200ml) में भी इसका उपयोग होता है। Tenex Forte(10 टैबलेट 60 रुपये), Acne -n- pimple cream(20 ग्राम 45 रुपये), Bleminor(30 ml 130 रुपये) आदि आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। सेमल के कांटे भी काम आते है इन कांटो में फोड़े फुंसी, घाव, आदि को दूर करने के गुण विद्यमान होते है। सेमल का गोंद अतिसार से बचाव करता है, इस गोंद को मोचरस के नाम से जाना जाता है। सेमल की जड़ नपुंसकता को दूर करने में लाभदायक माना जाता है। यदि सेमल के फल को घी और सेंधा नमक के साथ सब्जी बनाकर प्रदर रोगी महिलाओं को खिलाया जाय तो इस रोग से छुटकारा मिल जाता है। यदि शरीर मे किसी प्रकार के जख्म हो तो उनपर यदि इसकी छाल को पीसकर लगाया जाता है तो जख्म जल्दी ठीक हो जाते है। आग से जलने पर सेमल की रुई को जलाकर इसकी राख को जली हुई जगह पर लगाये तो आराम मिलता है। यदि चेहरे पर फोड़े फुंसी हो तो इसकी छाल या काटो को पीसकर चेहरे पर लगाने से आराम मिलता है। खासी में भी सेमल लाभदायक है, इसकी जड़ का पावडर और काली मिर्च तथा सौंठ तीनो को बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से खासी में आराम मिलता है। आंखों के नीचे काले घेरो को साफ करने के लिए इसके काँटो को पीसकर एक चमच दूध में मिलाकर लगाए तो यह निशान धीरे धीरे साफ हो जाते है।
नींद के रोगियों को सेमल की रुई से बने तकियों का उपयोग करना चाहिए, इससे आराम मिलता है
सेमल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसमे सल्फर डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की काफी क्षमता होती है। यदि सेमल को सड़कों के किनारे या औद्योगिक क्षेत्रों में लगाया जाता है, तो इससे पर्यावरण में भी काफी मदद मिलती है।
नेचुरल प्रोडक्ट कम्युनिकेसन्स जनरल में वर्ष 2014 में प्रकाशित शोध के अनुसार पाया गया कि सेमल के फूल में डाईइथाइल ईथर एक्सट्रेक्ट तथा पेट्रोलियम में एंटी-प्रोलिफेरेटिव एक्टिविटी पायी गयी है, तथा यह दोनों ही अच्छे एंटीओक्सिडेंट पाये गए है। कुछ शोधपत्रों के अनुसार सेमल में टेनिक्स, सेपोनिन्स, स्टेरोइड्स, फिनॉल्स, ग्लाईकोसाइड्स, एल्कलॉइड्स तथा फ्लेवोनॉयड पाये जाते है। रक्त प्यूरिफिकेशन, ल्यूकोरिहया व स्त्री रोगों के उपचार में उपयोगी पायी गयी है। इसमें प्रोटीन 1.56%, वासा 1.30%, कार्बोहाइड्रेट 6.80%, फाइबर 15.95%, कैल्शियम 2.85%, पोटेशियम 1.05%, मैग्नीशियम 3.65%, व फास्फोरस 0.8% तक पाया जाता है।
अब बात करते है इससे बनने वाली रुई की, इससे निकलने वाली रुई कपास की ही तरह होती है लेकिन कपास के मुकाबले काफी काफी सस्ती भी होती है। सेमल के फेब्रिक पर यू.एस. पेटेंट भी किये गए है। अमरीकी देशो में इसका रुई के परपज़ से उत्पादन भी किया जा रहा है। इसकी कीमत की तुलना यदि कपास से की जाए तो कपास से तैयार रुई सेमल से तैयार रुई के दुगनी महंगी है। सेमल की रुई 750 से 950 डॉलर प्रति टन है जबकि कपास की रुई 1600 से 1850 डॉलर प्रति टन कीमत है।
सेमर/सेमल के अन्य भाषाओं में नाम इस प्रकार है
संस्कृत: शाल्मली, शल्मली
तमिल भाषा में - मुल्लिलवु
असमिया - हिमला, हिमोलू
बंगाली: रक्तसिमुल, कटसेओरी
हिन्दी - कांटीसेंबल, रक्त सेंबल, सेमल, सेमर कंद, सेमुल, सेमुर, शेंबल, शिंबल, सिमल, सिमुल
मणिपुरी: तेरा
मराठी: शाल्मली, सांवर, सांवरी, सौर
ओडिया: सिमिलीकांट similikonta
तमिल - ilavu, puulaa, mullilavu
तेलुगू - burug
कन्नड: kempuburug
मलयालम: mullilavu
मिजो: pang, phunchawng
अंग्रेजी - Indian cottonwood, Indian kapok, red silk-cotton tree, simal tree.
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